सवाल सिर्फ असम में अवैध बांग्लादेशियों का ही नहीं है, ये पूरे भारत के कई शहरों में फैल चुके हैं। कई जगह तो दस्तावेज तक हासिल कर चुके हैं। यह समस्याए सुलझी नहीं थी कि रोहिंग्या आ गए। केंद्र सरकार इन्हें देश के लिए खतरनाक मान चुकी है।
दिसपुर/ढाका। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनसीआर) का दूसरा मसौदा सामने आने के बाद पूरे देश में भारतीय नागरिकों की पहचान और अवैध बांग्लादेशियों को खदेड़ने की मांग हो रही है, वहीं अब बांगलादेश ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। उसने कहा है कि यह भारत का मसला है और उसे ही यह सुलझाना चाहिए। बांग्लादेश के एक मंत्री ने कहा है कि उनका कोई घुसपैठिया असम में नहीं है। इसका सीधा-सा मतलब है कि बांग्लादेश अपने घुसपैठियों को लेने से इनकार कर रहा है। घुसपैठियों की संभावित बड़ी तादाद का अनुमान लगाकर वह इससे बचना चाहता है।
बांग्लादेश के सूचना प्रसारण मंत्री हसन उल हक इनु का कहना है कि इस मसले से बांग्लादेश का कोई लेना-देना ही नहीं है। उन्होंने घुसपैठियों के होने से इनकार कर दिया। वे बोले, जो लोग वहां रह रहे हैं वे काफी लंबे समय से रह रहे हैं। ऐसे में यह बहस तेज होती जा रही है कि आखिर भारत यह मसला कैसे हल करेगा।
सवाल सिर्फ असम में अवैध बांग्लादेशियों का ही नहीं है, ये पूरे भारत के कई शहरों में फैल चुके हैं। कई जगह तो दस्तावेज तक हासिल कर चुके हैं। जिस तरह से राजनेता खुलकर इनके पक्ष में आ रहे हैं, यह भविष्य में गंभीर संकट बन सकता है। यह समस्या सुलझी नहीं थी कि रोहिंग्या आ गए। वे भी देश के कई शहरों में फैल चुके हैं। लोगों में रोहिंग्याओं के खिलाफ आक्रोश है। केंद्र सरकार इन्हें देश के लिए खतरनाक मान चुकी है।
अब जबकि बांग्लादेश सरकार के मंत्री अवैध बांग्लादेशियों को लेने से इनकार कर रहे हैं तो भारत इन्हें कहां भेजेगा? यह एक ज्वलंत प्रश्न है, जिसका उत्तर देश को तलाशना होगा। बांग्लादेश गरीबी के साथ ही भारी-भरकम आबादी के दबाव में है। वहां पहले से आबादी बहुत ज्यादा थी। इसके बाद लाखों की तादाद में म्यांमार से रोहिंग्या आकर बस गए। अब जबकि भारत में एनआरसी की चर्चा हो रही है, तो वह हाथ खड़े कर जिम्मेदारी से बचना चाहता है, क्योंकि इतनी बड़ी तादाद में आबादी को पालने से उसके यहां व्यवस्था चरमरा जाएगी।
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