नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में लंबा समय बिताया। वे प्रखर वक्ता थे और विपक्ष से संवाद करने की कला भी उन्हें भलीभांति आती थी। अटलजी के साथ पुराना दौर देख चुके लोगों के पास उनकी यादें शेष हैं, जिनसे हम यह समझ सकते हैं कि कोई नेता उनका विपक्षी तो हो सकता था, लेकिन विरोधी नहीं। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू भी उन्हें पसंद करते थे और भविष्य का प्रभावशाली नेता मानते थे।
‘अटलबिहारी वाजपेयी- ए मैन फ़ॉर ऑल सीज़न’ किताब में किंगशुक नाग पं. नेहरू और वाजपेयी के बारे में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख करते हैं। दरअसल तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री भारत आए तो पं. नेहरू ने वाजपेयी का यह कहते हुए परिचय दिया कि इनसे मिलिए, ये हैं विपक्ष के उभरते हुए युवा नेता। ये हमेशा मेरी आलोचना करते हैं, परंतु मैं इनमें भविष्य की काफी संभावनाएं देखता हूं।
इसी तरह एक बार जब कोई विदेशी मेहमान आए तो पं. नेहरू ने वाजपेयी का परिचय भारत के संभावित प्रधानमंत्री के रूप में दिया। पं. नेहरू की वह भविष्यवाणी सत्य हुई। बाद में वाजपेयीजी देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि इसके लिए उन्हें लंबा सफर तय करना पड़ा। वे संघर्षों की भट्टी में तपकर खरा सोना बने जिनसे कई लोग प्रेरणा लेते हैं।
वाजपेयीजी सत्ता में रहे हों या विपक्ष में, उन्होंने दूसरे दलों और उनकी विचारधाराओं का पूरा सम्मान किया। पं. नेहरू के प्रति उनके मन में बहुत आदर भाव था। जब 1977 में वे विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय आए तो उन्होंने पाया कि पं. नेहरू का चित्र नहीं है, जो पहले वहां लगा रहता था।
उन्होंने पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उसे अधिकारियों ने वहां से हटवा दिया। इस पर वाजपेयीजी ने आदेश दिया कि पं. नेहरू का चित्र उसी जगह दोबारा लगाया जाए। ऐसा ही हुआ। पं. नेहरू का चित्र वहां लगा दिया गया। वाजपेयीजी के हृदय में विपक्ष के लिए बहुत सम्मान था।
ये भी पढ़िए:
– जब वाजपेयी ने भीड़ में मोदी को गले लगाकर थपथपाई पीठ, खूब देखा जा रहा यह वीडियो
– जब अटलजी के सामने फेल हो गईं दुनिया की खुफिया एजेंसियां, भारत ने कर दिया परमाणु परीक्षण
– मदरसे में तिरंगा फहराने के बाद मौलवी ने किया राष्ट्रगान का विरोध, वीडियो देख लोगों में गुस्सा