नई दिल्ली। कांग्रेस को लेकर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के तीखे तेवर जारी हैं। अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उन्हें 2019 में संतोषजनक सीटें न मिलीं तो उस स्थिति में पार्टी कांग्रेस से सीटों की भीख मांगने के बजाय अकेले ही चुनाव लड़ना चाहेगी। उनके इस बयान से विपक्ष के ‘महागठबंधन’ के भविष्य पर अनिश्चय के बादल मंडराने लगे हैं।
मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चुनाव आयोग राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर चुका है। इनमें पहले तीन राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होंगे। यहां बसपा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उसका कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा।
अब मायावती ने कहा है कि किसी गठबंधन से सीटों की भीख मांगने के बजाय पार्टी अपने दम पर चुनावों में उतरेगी। यह भी चर्चा है कि बसपा के इस फैसले से कई सीटों पर कांग्रेस के वोटों का बंटवारा हो सकता है। उन्होंने दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुसलमानों, दूसरे अल्पसंख्यकों और अगड़ी जातियों के आत्मसम्मान की बात कहते हुए समझौते से इनकार किया।
मायावती ने कहा है कि उनकी पार्टी ने गठबंधन पर अमल करने से पहले सम्मानजनक संख्या में सीटों की शर्त रखी है। उन्होंने कहा, इसका साफ मतलब है कि पार्टी किसी गठबंधन में सीटों की भीख नहीं मांगेगी। उन्होंने बताया, यदि सम्मानजनक संख्या में सीटें नहीं मिलीं तो बसपा अपने दम पर ही चुनाव लड़ना पसंद करेगी।
मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर कई बिंदुओं पर बयान दिया। उन्होंने कांग्रेस के साथ ही भाजपा पर भी कई सवाल उठाए। एससी-एसटी एक्ट पर उन्होंने कहा कि बसपा किसी भी कानून के दुरुपयोग का समर्थन नहीं करती। गुजरात में उत्तर भारतीयों के साथ हुई हिंसा को भी उन्होंने गलत बताया और कहा कि जिस किसी ने गलत किया है, उसे सजा मिलनी चाहिए।
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