देवरिया/वार्ता। ‘यादव परिवार’ में टूट के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आए समाजवादी सेक्युलर मोर्चा ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रभावित क्षेत्रों में सेंध लगानी शुरू कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सपा के संगठनात्मक ढांचे में खासी पकड़ रखने वाले शिवपाल का अलग दल बनाना निश्चित रूप से पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यादव परिवार में दरार का असर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए कठिन चुनौती पेश कर सकता है। सपा के प्रभाव वाले इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, एटा, फर्रूखाबाद और आगरा जैसे जिलों में शिवपाल समर्थकों की खासी तादाद है।
सपा के असंतुष्ट गुट के एक नेता ने कहा कि शिवपाल ने अपने मोर्चे के जरिए समाजवादी पार्टी में हाशिये पर चल रहे कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिये एक विकल्प तैयार कर दिया है जो लोकसभा चुनाव से पहले सपा का जायका खराब करने के लिये तैयार है। लगातार उपेक्षा की वजह से सपा में हाशिये पर आए शिवपाल का नया मोर्चा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए लालायित है।
हालांकि इसका बुरा असर सपा पर पड़ना तय है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के धुरंधर नेताओं में रहे शिवपाल का यह नया मोर्चा सपा को किसी न किसी रूप से नश्तर की माफिक चुभ सकता है। सपा में मुलायम सिंह यादव के समय से ही शिवपाल की पार्टी संगठन पर मजबूत पकड़ मानी जाती थी।
चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर मंत्रिमंडल गठन में उनकी सुनी जाती थी। कई सालों से सपा में घुट रहे शिवपाल अपनी नई पार्टी के गठन के बारे में सोच रहे थे लेकिन हर बार मुलायम सिंह दीवार के रूप में आ जाते थे। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले शिवपाल ने अपना सेक्युलर मोर्चा का गठन कर एक तीर से कई निशाना लगाने की तैयारी कर ली है।
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