विदाई भाषण में मोदी बोले मिच्छामी दुक्कड़म, सब सदस्यों की ओर से की क्षमा प्रार्थना

विदाई भाषण में मोदी बोले मिच्छामी दुक्कड़म, सब सदस्यों की ओर से की क्षमा प्रार्थना

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 16वीं लोकसभा के विदाई भाषण में कई बातें कहीं। उन्होंने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बयान पर आभार जताया और केंद्र सरकार की उपलब्धियां बताईं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में जैन धर्म के महत्वपूर्ण संदेश ‘क्षमा’ का भी उल्लेख किया। जब मोदी ने लोकसभा में ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहा तो भाजपा सांसदों ने उनका समर्थन किया।

प्रधानमंत्री बोले, ‘कई बार तीखी नोक-झोंक भी हुई। कभी उधर से हुई, कभी इधर से हुई। कभी कुछ ऐसे शब्दों का भी प्रयोग हुआ होगा जो नहीं होना चाहिए। इस सदन में किसी भी सदस्य के द्वारा, जरूरी नहीं कि इस तरफ के, उस तरफ के भी.. इस सदन के नेता के रूप में मैं जरूर मिच्छामी दुक्कड़म कहूंगा। क्षमा प्रार्थना के लिए जैन पर्यूषण पर्व में मिच्छामी दुक्कड़म एक बहुत बड़ा संदेश देने वाला शब्द है। उस भावना को मैं प्रकट करता हूं।’

प्रधानमंत्री मोदी जहां चुनाव रैलियों में कांग्रेस सहित विपक्ष पर जोरदार हमला करने से नहीं चूकते, वहीं लोकसभा में वे सदस्यों का आभार व्यक्त करते नजर आए। साथ ही जैन धर्म का उल्लेख कर क्षमा प्रार्थना करते हुए यह संदेश देने की भी कोशिश की कि वे सबके नेता हैं और बड़ा दिल रखते हैं। अगर पूर्व में किसी भी दल के सदस्य की ओर से कोई कठोर बात कही गई हो तो प्रधानमंत्री के रूप में वे सबकी ओर से क्षमा चाहते हैं।

(वीडियो: लोकसभा टीवी के सौजन्य से)

इनका कहना है
मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ है – कृपया मुझे क्षमा करें। क्या अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से क्षमा मांगना अच्छा नहीं है? यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि सभी अपने नाज़ुक रिश्तों को सुधारें और नकारात्मक संबंधों के रिश्तों को साफ रखें और घृणा से दूर रहें। दरअसल, मिच्छामी दुक्कड़म एक सामुदायिक तरीके से व्यक्तिगत माफी की औपचारिकता है। यह व्यक्तिगत क्षमा की तुलना में मानवीय करुणा को बढ़ाने का एक माध्यम है। इसमें एक संपूर्ण समुदाय शामिल है, एक संपूर्ण समाज। माफी वास्तव में एक सबसे महत्वपूर्ण मानव मूल्य है। यह मानव जाति को उनकी पिछली गलतियों को सुधारने की अनुमति का मौका देता है और मानवता को एक सबक सिखाता है। माफी मांगने में शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं होती है। जब किसी व्यक्ति से कोई क्षमा मांगे तो उसे हमेशा क्षमा कर देना चाहिए।

– आचार्य श्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी म.सा.

देश के प्रधानमंत्री ने 16वीं लोकसभा के समापन समारोह में श्रमण (जैन) संस्कृति के पर्युषण महापर्व में सम्मान के साथ बोले जाने वाले ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ शब्द का प्रयोग करके गौरवशाली श्रमण संस्कृति का सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है, जो शायद पहली बार लोकसभा में बोला गया है। इसका अर्थ समस्त जीवों से क्षमायाचना करना होता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रथम बार संसद भवन में प्रवेश करते समय जिन्होंने भगवान महावीर स्वामी को नमस्कार किया है। ऐसे माननीय प्रधानमंत्रीजी को सपोर्ट करना समस्त जैन समाज का कर्तव्य है, जो हमारी भारतीय संस्कृति की रक्षा कर सकें।

– आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी के शिष्य श्री संयम रतन विजयजी म.सा.

लोकसभा में प्रधानमंत्री ने क्षमाभावना को व्यक्त करते हुए मिच्छामी दुक्कड़म बोलकर जैन धर्म के आधार स्तंभ को दोहराया है। हमें इस बात की खुशी है कि उन्होंने इसे अपने संबोधन में शामिल किया है।
– आचार्यश्री चन्द्रयशसूरीश्‍वरजी म.सा., सिद्धाचल स्थूलभद्रधाम, देवनहल्ली

जैन समाज ने जताया आभार

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ बोलकर जैन समाज का मान बढ़ाया है।
– गौतम जैन, व्यवसायी, मुंबई

प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के मंदिर में क्षमा का संदेश दिया है, जो सबके लिए अनुकरणीय है।
– महेंद्र जैन, उद्योगपति, इंदौर

देश की संसद में प्रधानमंत्री द्वारा ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ बोलकर क्षमा प्रार्थना ऐतिहासिक क्षण है।
– पारसमल सुराणा, व्यवसायी, हैदराबाद

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