लखनऊ/दक्षिण भारत। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हालत यह है कि जब पार्टी के वरिष्ठ नेता हार की समीक्षा के लिए बैठक करते हैं तो अन्य नेता और कार्यकर्ता वहीं तीखे आरोपों की झड़ी लगा देते हैं और नेतृत्व पर सवाल खड़े कर देते हैं।
शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समीक्षा बैठक बुलाई थी। इस दौरान एक वरिष्ठ नेता ने नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं के बजाय पैराशूट प्रत्याशियों को वरीयता दी। इस वजह से उसकी हार हुई। नेता ने पार्टी की मजबूती के लिए प्रयोगों को बंद करने की ‘नसीहत’ दी।
इस बैठक में राज बब्बर और रोहित चौधरी सहित पार्टी के कई नेता मौजूद थे, लेकिन कुछ वरिष्ठ नेताओं का शिरकत न करना चर्चा में रहा। बैठक में जितिन प्रसाद, इमरान मसूद, सलमान खुर्शीद और श्रीप्रकाश जायसवाल नहीं आए। हालांकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्हें दिल्ली में एक अन्य बैठक में भाग लेना था, इसलिए नहीं आ सके।
वहीं, लखनऊ में बैठक के दौरान कांग्रेस नेता एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ते रहे। दोपहर करीब 11.30 बजे शुरू हुई बैठक शाम 5.30 बजे तक जारी रही। बैठक में शामिल हुए नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल दागे। हाल में लोकसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों ने आरोप लगाया कि संगठन की ओर से मदद नहीं मिली। इसके अलावा यह भी कहा गया कि कई सीटों पर पार्टी का संगठन नहीं था।
इस बैठक में कांग्रेस के 28 प्रत्याशियों ने नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाए। बैठक में अनुपस्थित रहने वाले बड़े नेताओं के बारे में पूछा गया कि पार्टी उनके साथ अलग व्यवहार क्यों करती है। बैठक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया, ‘कार्यकर्ताओं की बात से पूरी तरह सहमत हूं कि यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संगठन को मजबूत करना बेहद आवश्यक है।’
बता दें कि कांग्रेस की हार के कारणों का मंथन करने के बाद 30 जून तक सभी राज्य प्रभारियों को अपनी समीक्षा रिपोर्ट एआईसीसी को भेजनी है। कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया को उप्र के जिस क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी, वहां पार्टी का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा और उसके हिस्से में एक भी सीट नहीं आई। इस बार कांग्रेस उप्र से सिर्फ एक सीट रायबरेली ही जीत पाई है। उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी अमेठी से हार गए।