बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक विधानसभा का 29 जुलाई का सत्र बहुत महत्वपूर्ण होगा जिसमें नए मुख्यमंत्री बीएस येड्डीयुरप्पा विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे और सदन की सहमति के लिए वित्त विधेयक भी सदन के पटल पर रखा जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा पिछले मंगलवार को कर्नाटक विधानसभा में लाया गया विश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार राज्य विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाया जानेवाला है।
बहरहाल, विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने जल्दी ही 13 बागी विधायकों की योग्यता पर फैसला लेने की बात कही है। वह अधिक विधायकों को सदन की सदस्यता के अयोग्य घोषित कर देते हैं तो सोमवार को सदन के पटल पर रखे जाने के लिए विश्वास प्रस्ताव पर इसका असर देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती सरकार की ओर से लाए गए विश्वास प्रस्ताव पर चार दिनों तक हुई चर्चा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार विश्वासमत हार गई थी। 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विपक्षी भाजपा के 105 मतों के खिलाफ उसे 99 वोट मिले थे। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत दिए गए अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए दो कांग्रेस विधायकों रमेश जारकीहोली और महेश कुम्मटहल्ली को विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया था।
इनके साथ ही एक निर्दलीय विधायक को भी सदन की सदस्यता के अयोग्य करार दे दिया गया था। इनके खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा दायर की गई शिकायतों के आधार पर यह निर्णय लिया था। इसके साथ ही रमेश कुमार ने संकेत दिया था कि वह १० अन्य कांग्रेसी और तीन जनता दल (एस) विधायकों की योग्यता पर भी जल्दी ही फैसला लेंगे।
भाजपा ने कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सत्ता से बाहर और पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली तथा विधायक कुम्मटहल्ली को अयोग्य घोषित करने के स्पीकर के फैसले के तुरंत बाद राज्यपाल वजुभाई वाला के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और गठबंधन सरकार में विपक्ष के नेता बीएस येड्डीयुरप्पा ने राज्यपाल का आमंत्रण मिलने के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि विधानसभा सत्र फिर से शुरू होगा और सोमवार को वह सदन में अपनी सरकार की ओर से विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। इसके बाद सदन के पटल पर वित्त विधेयक रखा जाएगा। सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान और अन्य सरकारी खर्चों के लिए 31 जुलाई से पहले सदन से वित्त विधेयक पारित करवाया जाना जरूरी है।