कांग्रेस ने 1986 में मुट्ठीभर लोगों के आगे टेके घुटने, मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण का विधेयक लाई: नकवी

कांग्रेस ने 1986 में मुट्ठीभर लोगों के आगे टेके घुटने, मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण का विधेयक लाई: नकवी

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी

नई दिल्ली/भाषा। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर 1986 में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े विषय पर मुट्ठीभर लोगों के दबाव में घुटने टेकने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि देश आज तक इसकी सजा भुगत रहा है।

नकवी ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019’ पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 1986 में तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार मुस्लिम महिलाओं से जुड़े महत्वपूर्ण विषय पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए विधेयक लाई थी और आज यह सरकार तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए विधेयक लाई है।

उन्होंने कहा, 1986 और अब में फर्क है। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। हम संवैधानिक अधिकार देने के लिए विधेयक ला रहे हैं, तब संविधान को कुचलने के लिए विधेयक लाया गया था। 1986 में कांग्रेस ने कुछ मुट्ठीभर लोगों के दबाव में घुटने टेक दिए थे और जो पाप किया था, उसकी सजा देश आज तक भुगत रहा है।

नकवी ने कहा कि इस देश ने सती प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म किया है। तीन तलाक भी उसी तरह की कुप्रथा है, सामाजिक बुराई है। उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों की आशंकाओं के मद्देनजर कहा कि तर्क दिए जा रहे हैं कि तीन तलाक देने के मामले में पति तीन साल के लिए जेल चला जाएगा तो परिवार का क्या होगा।

नकवी ने कहा कि ऐसा काम ही क्यों करें कि जेल जाना पड़े। ऐसे तो चोरी करने वाले, कत्ल करने वाले अपराधियों के लिए भी कहा जा सकता है। ये तर्क नहीं, कुतर्क हैं और इन कुतर्कों के आधार पर सामाजिक विषयों का समाधान नहीं निकलता।

उन्होंने कहा, हमारा देश संविधान से चलता है। शरिया या किसी धार्मिक कानून से नहीं चलता। नकवी ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है और यह कानून विशुद्ध रूप से संविधान के मूल्यों से संबंध रखता है, धर्म से नहीं।

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, आप भी सुधार के साथ रहिए, वोटों के उधार के चक्कर में मत पड़िए। नकवी ने कहा कि विपक्षी सदस्य इस गलतफहमी में नहीं रहें कि विधेयक उच्च सदन में पारित नहीं होगा। यह वहां भी पारित हो जाएगा।

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