नई दिल्ली/भाषा। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में ‘कठोर से कठोर कानून’ की जरूरत है और यूएपीए कानून में संशोधन देश की सुरक्षा में लगी जांच एजेंसी को मजबूती प्रदान करने के साथ ‘आतंकवादियों से हमारी एजेंसियों को चार कदम आगे’ रखने का प्रयास है।
गृह मंत्री ने कहा कि यह संशोधन कानून केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिए है और इसका हम कभी भी दुरुपयोग नहीं करेंगे और करना भी नहीं चाहिए।
लोकसभा में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा, हम विपक्ष में थे तब भी कहते थे कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून होना चाहिए और आज भी हमारा मानना है कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में कठोर से कठोर कानून की जरूरत है। शाह ने यह भी कहा कि शहरी माओवाद (अर्बन माओइज्म) के लिए काम करने वालों के लिए हमारे मन में थोड़ी भी संवेदना नहीं है।
उन्होंने कहा कि वैचारिक आंदोलन का चोला पहनकर जो लोग माओवाद फैला रहे हैं, उनके प्रति हमारे मन में कोई संवेदना नहीं है। इन्हें रोका जाना चाहिए।
गृह मंत्री ने कहा, अनपढ़, गरीब लोगों को वैचारिक आंदोलन की आड़ में गुमराह करके अपना उल्लू सीधा करने वाले ऐसे लोगों को नहीं छोड़ा जा सकता है। मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग की। इसके बाद कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक को पारित होने के लिए विचारार्थ आगे बढ़ाने जाने के विरोध में मत विभाजन की मांग की। सदन ने 8 के मुकाबले 287 मतों से इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी।
कांग्रेस के मनीष तिवारी सहित कुछ विपक्षी दलों के सवालों के संदर्भ में अमित शाह ने कहा, आप पूछते हैं आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून क्यों बना रहे हैं? मैं कहता हूं आतंकवाद के खिलाफ कठोर से कठोर कानून होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है, कौनसी पार्टी उस समय सत्ता में हैं उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष को मुद्दे उठाने हैं तो उठाएं लेकिन ये कह कर नहीं उठाने चाहिए कि ये हम लेकर आए, वो ये लेकर आए।
यूएपीए कानून में संशोधन के संदर्भ में सहकारी संघवाद को ठेस पहुंचने के कुछ सदस्यों की टिप्पणी पर गृह मंत्री ने कहा कि यूएपीए कानून हम लेकर नहीं आए। सबसे पहले इस संबंध में कानून 1967 में कांग्रेस के समय में आया और इसके बाद तीन बार संशोधन कांग्रेस नीत सरकार के दौरान आया… ऐसे में संघीय ढांचे को कोई ठेस पहुंची है तो इसका कारण कांग्रेस एवं संप्रग के समय लाए कानून के कारण है।
उन्होंने कहा कि फिर भी उनका मनना है कि यह कानून उस समय लाना सही था और आज जो हम लेकर आए हैं, वह भी सही है। संशोधन विधेयक में आतंकी कार्यों में लिप्त व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि आतंकवाद बंदूक से पैदा नहीं होता। आतंकवाद उन्माद फैलाने वाले प्रचार से पैदा होता है।
उन्होंने इस दौरान आतंकी मौलाना मसूद अहजर और यासिन भटकल का भी जिक्र किया और कहा कि ये बार-बार संगठन का नाम बदल रहे थे और कानून से बच रहे थे।
शाह ने कहा कि आतंकवाद व्यक्ति की मंशा में होता है, संस्थाएं तो व्यक्तियों का संगठन होता है। सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद को समूल नष्ट करने की है। उन्होंने कहा कि कुर्की के लिए अदालत की अनुमति जरूरी है।
उन्होंने यह भी कहा, जो आतंकवाद करेगा, पुलिस उसके कम्प्यूटर में घुसेगी ही। विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 में कहा गया है कि एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिए सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है।
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिए और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिए सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिए सशक्त बनाया गया है।