नई दिल्ली/दक्षिण भारत। मोदी सरकार 2.0 ने आगाज के साथ ही कई बड़े फैसले लेकर देश को चौंका दिया। सरकार के दूसरे कार्यकाल के अभी 100 दिन पूरे नहीं हुए लेकिन उसने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी कुरीति से आजादी दिलाई। साथ ही कई दशकों से विवादों में रहे अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को समाप्त कर दिया। मोदी-शाह की जोड़ी सोशल मीडिया में छाई हुई है और यूजर्स कयास लगा रहे हैं कि अब सरकार का अगला फैसला क्या हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सामाचार एजेंसी आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में अनुच्छेद-370 हटाने के संबंध में कई सवालों के जवाब दिए। जम्मू-कश्मीर को लेकर लिए बड़े फैसले के बाद विरोध के स्वर पर मोदी ने कहा कि ऐसे लोगों की सूची बनाइए जिन्होंने कश्मीर पर इस फैसले का विरोध किया। इसमें कुछ स्वार्थी समूह, राजनीतिक वंश और वे लोग हैं जो आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। कुछ विपक्ष के मित्र शामिल हैं।
‘यह राष्ट्र का विषय, राजनीति का नहीं’
मोदी ने कहा कि देश के लोग, चाहे उनका संबंध किसी भी राजनीतिक विचारधारा से हो, उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए उठाए गए कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र का विषय है, राजनीति का नहीं। उन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि देश के लोगों को भी इस बात का अहसास है कि जो अब तक असंभव लगता था, उसे संभव किया जा रहा है। चूंकि देशभर में इस फैसले को बहुत मुश्किल माना जा रहा है।
सात दशक में जम्मू-कश्मीर को नुकसान
मोदी ने कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियों के बारे में कहा कि वहां धीरे-धीरे हालात सामान्य होंगे। अनुच्छेद-370 के प्रावधानों के बारे में उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ राजनीतिक परिवारों और अलगाववादियों को सहायता मिलती थी। उन्होंने कहा कि सात दशक में इससे लोगों का भला नहीं हुआ, बल्कि विकास की धारा से अलग रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर आर्थिक रूप से प्रगति नहीं कर पाया और यह सबसे बड़ा नुकसान हुआ।
मोदी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद-370 और 35ए ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को अलग-थलग किया। .. यहां लोग बेहतर भविष्य चाहते हैं लेकिन उक्त अनुच्छेद के प्रावधानों की वजह से ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने इसे महिला, बच्चों और एससी-एसटी के प्रति अन्याय करार दिया।
खुलेंगे रोजगार के रास्ते
मोदी ने अनुच्छेद-370 हटाए जाने का विरोध कर रहे लोगों से सवाल किया कि इसे बनाए रखने के पीछे उनका क्या तर्क है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर उन लोगों के पास कोई जवाब नहीं होता। उन्होंने कहा कि यहां शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में प्रगति होगी। यहां बीपीओ, स्टार्टअप, खाद्य प्रसंस्करण से लेकर पर्यटन तक कई उद्योगों को निवेश का फायदा मिलेगा।इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
पंचायतों के लिए क्या किया?
जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज सुने जाने के सवाल पर मोदी ने कहा कि कश्मीर ने लोकतंत्र के पक्ष में ऐसी मजबूत प्रतिबद्धता कभी नहीं देखी। उन्होंने पंचायत चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि तब बड़ी तादाद में लोगों ने मतदान किया था। वे किसी के कहने पर भी नहीं रुके थे। उन्होंने कहा कि वहां नवंबर-दिसंबर 2018 में 35,000 सरपंच चुनकर आए। प्रधानमंत्री ने विपक्ष से सवाल किया, जब ये लोग सत्ता में थे तो पंचायतों को मजबूत करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया?
मोदी ने कहा कि जिन लोगों को अब तक यह महसूस होता था कि कश्मीर पर राज करना उनका पारिवारिक हक है, उन्हें इस फैसले से नाराजगी हो सकती है। उन्होंने कहा कि 73वां संशोधन कश्मीर में लागू नहीं होता था, यह वहां के लोगों के साथ अन्याय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को भरोसा दिलाया है कि वहां चुनाव होंगे और उनके द्वारा ही प्रतिनिधि चुने जाएंगे।
हर नागरिक जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के साथ
मोदी ने अनुच्छेद-370 हटाने के विरोध में आवाज उठाने वाले सियासी चेहरों पर कहा कि ये वो लोग हैं जो जनता की मदद करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करते थे। उन्होंने कहा कि ये लोगों को पेयजल मुहैया कराने की परियोजना, रेलवे ट्रैक बिछाए जाने का काम आदि का विरोध करते हैं। प्रधानमंत्री ने इन पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘उनके दिल सिर्फ माओवादियों और आतंकवादियों के लिए धड़कते हैं।’ मोदी ने कहा कि देश का हर नागरिक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के साथ खड़ा है। साथ ही भरोसा जताया कि लोग विकास के मुद्दे पर साथ होंगे।