नई दिल्ली/भाषा। अयोध्या भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सतर्कता के कारण देश के किसी भी हिस्से से किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। शाह ने फैसले के मद्देनजर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन कर हर प्रकार के केंद्रीय मदद का आश्वासन दिया था।
अयोध्या मामले में शनिवार को आये फैसले के आलोक में शाह ने अपने कई कार्यक्रम रद्द कर दिए और पिछले दो दिनों से व्यक्तिगत रूप से पूरे देश के कानून व्यवस्था स्थिति की नजदीक से निगरानी की ताकि वर्षों पुराने इस विवाद के फैसले के बाद सांप्रदायिक सौहार्द नहीं बिगड़े।
इन कार्यों से से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री ने कई राज्यों, खासतौर से संवेदनशील समझे जाने वाले प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को टेलीफोन किया और स्थिति का जायजा लिया। शाह ने मुख्यमंत्रियों से हमेशा सावधान और चौकन्ना रहने की अपील की।
गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों से किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना उन्हें तत्काल देने के लिए कहा और जरूरत पड़ने पर हरसंभव केंद्रीय सहायता देने का आश्वासन दिया। अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री की इस सतर्कता ने मुख्यमंत्रियों को किसी भी स्थिति में पूर्ण शांति स्थापित करने में केंद्र सरकार की गंभीरता को समझने में मदद की।
शाह ने जिन मुख्यमंत्रियों से पिछले दो दिनों में बातचीत की उनमें भाजपा के मुख्यमंत्रियों के अलावा, विपक्षी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
गृह मंत्री ने केंद्र सरकार के कुछ शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इन अधिकारियों में गृह सचिव अजय के. भल्ला, गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार शामिल हैं। शाह ने इन अधिकारियों को राज्यों के शीर्ष अधिकारियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहने का निर्देश दिया।
इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी हिस्सा लिया। गृह मंत्री देश की सुरक्षा स्थिति के बारे में गुप्तचर ब्यूरो से नियमित जानकारी हासिल करते रहे। गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को एक परामर्श जारी कर उनसे सभी संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त बलों की तैनाती करने तथा निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया गया था।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस दौरान केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन के बीच पूरी तरह समन्वय था। अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्रियों को गृह मंत्री की ओर से फोन किए जाने के बाद पूरी प्रक्रिया सुचारू हो गई।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को अपने फैसले में आयोध्या भूमि विवाद पर अपने फैसले में विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर एक न्यास का गठन करने और शहर में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया था।