बिहार में एनपीआर अद्यतन करने की प्रक्रिया 15 से 28 मई तक होगी: सुशील मोदी

बिहार में एनपीआर अद्यतन करने की प्रक्रिया 15 से 28 मई तक होगी: सुशील मोदी

पटना/भाषा। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने की प्रक्रिया राज्य में इस वर्ष 15 से 28 मई तक चलायी जाएगी। वहीं पश्चिम बंगाल और केरल सरकारों ने अपने—अपने राज्यों में इस कवायद पर रोक लगाने का निर्णय किया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि यदि अधिकारियों ने संविधान अधिदेशित एनपीआर करने से इनकार किया तो उनके खिलाफ प्रशासनिक एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सुशील मोदी ने शनिवार को कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक चलाई जाएगी। बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी।

यह बयान महत्व रखता है क्योंकि केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित 11 गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर राज्य द्वारा पारित उस प्रस्ताव का उल्लेख किया है जिसमें संशोधित नागरिकता कानून को खारिज करने की मांग की गई है। विजयन ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस कानून के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाने को कहा है।

नीतीश कुमार भाजपा के साथ बिहार में एक गठबंधन सरकार चला रहे हैं। विजयन ने पत्र में लिखा है, केरल ने राज्य में एनपीआर संबंधी सभी गतिविधियों पर रोक लगाकर एनआरसी को लेकर इन आशंकाओं को दूर करने का निर्णय किया है कि एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) एनआरसी की ओर ले जाएगा।

बिहार के मुख्यमंत्री कुमार राज्य में एनआरसी को पहले ही ना कह चुके हैं लेकिन वह एनपीआर पर अभी कुछ नहीं बोले हैं। सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया 2010 में संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी जो उस वर्ष एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक पूरी हुई।

केंद्र 2010 के एनपीआर को 2021 में जनगणना के पहले 2020 में केवल ‘अद्यतन’ कर रहा है। मोदी ने 15 से 28 मई तक बिहार राज्य में एनपीआर कवायद के लिए रविवार को बिहार सरकार की 18 दिसंबर की अंतिम अधिसूचना की प्रति उल्लेखित की। उन्होंने कहा, एनपीआर और एनआरसी दो अलग-अलग चीजें हैं।

सुशील कुमार मोदी ने साथ ही पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों क्रमश: ममता बनर्जी और पी विजयन को चुनौती दी कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करें, यदि वे ऐसा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान सहित कोई भी राज्य सीएए या एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि केंद्र को नागरिकता को लेकर कानून लाने का अधिकार है। एनपीआर तैयार करना एक वैधानिक प्रावधान है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता।

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