रांची/भाषा। झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले से जुड़े 33 करोड़, 67 लाख रुपए के चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में आधी सजा पूरी कर लेने के कारण शुक्रवार को जमानत दे दी लेकिन अभी चारा घोटाले के दुमका कोषागार से गबन के मामले में जमानत न मिलने के चलते वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे।
झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें इस आधार पर जमातन दे दी कि उन्होंने पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा में से 30 माह न्यायिक हिरासत में पूरे कर लिए हैं।
उच्च न्यायालय ने लालू यादव को इस मामले में जमानत के लिए पचास-पचास हजार रुपए के दो निजी मुचलके देने और दो लाख रुपए की जुर्माने की राशि विशेष सीबीआई अदालत में जमा कराने के भी निर्देश दिए हैं।
लालू के लंबे समय से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में इलाज के लिए भर्ती होने के मामले का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने रिम्स प्रशासन को लालू यादव के स्वास्थ्य की विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय में सुनवाई की अगली तारीख छह नवंबर से पूर्व पेश करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार से न्यायालय ने रिम्स में रहने के दौरान लालू यादव से मुलाकातियों का विवरण भी मांगा है।
चाईबासा के इस मामले के अलावा लालू को पूर्व में देवघर कोषागार से गबन और चाईबासा के एक अन्य मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है लेकिन दुमका कोषागार से गबन के मामले में उन्हें अब तक जमानत नहीं मिली है जिसके चलते अभी उन्हें न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा।
लालू को चारा घोटाले के चाईबासा मामले में जमानत के लिए पचास-पचास हजार रुपए के दो निजी मुचलके देने साथ ही इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दी गई जुर्माने की सजा के दो लाख रुपए भी सीबीआई की विशेष अदालत में जमा कराने होंगे।