राजग से अलग होकर जदयू से ‘दो-दो हाथ’ करने के चिराग के दांव में कितना दम?

राजग से अलग होकर जदयू से ‘दो-दो हाथ’ करने के चिराग के दांव में कितना दम?

पटना/दक्षिण भारत। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजग से अलग होकर लोजपा की ‘एकला चलो’ की नीति के क्या संकेत हैं? ​दरअसल, सियासी हलकों में चर्चा है कि लोजपा का यह रुख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चुनाव मैदान में ‘दो-दो हाथ’ करने का साफ ऐलान है, वहीं भाजपा के प्रति नरम रुख यह बताता है कि लोजपा चुनाव बाद ‘घर वापसी’ के लिए कुछ गुंजाइश भी रखना चाहती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, ​लोजपा प्रमुख चिराग पासवान बिहार चुनाव को अपना सियासी कद बढ़ाने के अवसर के तौर पर ले रहे हैं। लोजपा द्वारा चुनाव में नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार न करने के फैसले के बीच भाजपा और जदयू में सीटों का बंटवारा हो गया है। इससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा बिहार चुनाव के रण में जदयू जैसे साथी को नहीं गंवाना चाहती।

जदयू को कितना नुकसान?
क्या चिराग का उक्त कदम जदयू को नुकसान पहुंचाएगा? चूंकि लोजपा यह घोषणा कर चुकी है कि वह भाजपा के खिलाफ तो प्रत्याशी नहीं उतारेगी लेकिन जदयू से जरूर मुकाबला करेगी। लोजपा का यह दांव कितना सफल होगा, यह तो चुनाव नतीजे ही बता पाएंगे, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि लोजपा इस कदम से जदयू के वोटों का बंटवारा कर सकती है।

पासवान की कुर्सी का सवाल
.. तो केंद्र में रामविलास पासवान के मंत्री पद का क्या होगा? चूंकि लोजपा बिहार में राजग से अलग राह अपना चुकी है, ऐसे में केंद्र में राजग के साथ वह कितने दिनों तक तालमेल कायम रख पाएगी? ऐसे सवालों पर अभी भाजपा और जदयू की ओर से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला है।

मोदी सरकार में खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान का स्वास्थ्य ​अभी ठीक नहीं है। हाल में उनके हृदय का ऑपरेशन हुआ है। उनके मंत्री पद को लेकर जब बिहार के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील मोदी से सवाल पूछा गया तो उनके जवाब से यह संकेत मिला कि पासवान की कुर्सी अभी सुरक्षित है। बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इसके जवाब में सिर्फ इतना कहा कि वे पासवान के लिए जल्द सेहतमंद होने की कामना करते हैं।

भाजपा के प्रति नरम रुख रणनीति का हिस्सा
लोजपा द्वारा राजग से अलग होकर भी ‘साथ’ होने की स्थिति को रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इससे लोजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह नीतीश कुमार के तो खिलाफ है लेकिन भाजपा से रिश्ता नहीं तोड़ना चाहती। साथ ही, चुनाव बाद वह भाजपा संग मिलकर सरकार बनाएगी। हाल में चिराग पासवान जदयू पर शब्दप्रहार कर चुके हैं लेकिन भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाया।

हालांकि, सुशील मोदी ने सीट बंटवारे की घोषणा के बाद चिराग को कहा है कि वे चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल न करें। उन्होंने लोजपा को इससे रोकने के लिए चुनाव आयोग जाने के संकेत भी दे दिए हैं।

बागियों के लिए खुलेंगे दरवाजे!
एक संभावना यह जताई जा रही है कि लोजपा इस कदम के बाद बिहार मेंं भाजपा के बागियों के लिए दरवाजे खोलेगी। बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने लोजपा में शामिल होकर अब दिनारा सीट से जदयू ​मंत्री जय कुमार सिंह को चुनौती देने की तैयारी कर ली है।

इसके अलावा, टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा और जदयू से असंतुष्टों को भी लोजपा अपने खेमे में शामिल कर सकती है। बदलते समीकरणों के साथ अगर दल बदलकर लोजपा में आए नेता जीत दर्ज कर लेते हैं तो यकीनन ये अपनी मूल पार्टी को ही नुकसान पहुंचा चुके होंगे।

ये है सीट बंटवारे का गणित
बता दें कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए राजग में बंटवारा हो चुका है। यहां जदयू को 122 और भाजपा को 121 सीटें मिली हैं। इनमें से जदयू अपने सहयोगियों को 7 सीटें देकर स्वयं 115 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारेगी। राजग के दो सहयोगियों जीतनराम मांझी की ‘हम’ और मुकेश सहनी की ‘विकासशील इंसान पार्टी’ को जदयू-भाजपा अपने खाते से सीटें देंगी। बिहार का यह सियासी समीकरण कितना सफल होगा, यह जनता ईवीएम के जरिए तय करेगी।

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