केवड़िया/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के केवड़िया में महान स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पड़ोसी पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पुलिस बेड़े के वीर बेटे-बेटों के नाम- भारत माता की जय, कोरोना के समय में सेवारत कोरोना वॉरियर्स के नाम- भारत माता की जय, आत्मनिर्भरता के संकल्प को पूरा करने में जुटे कोटि-कोटि लोगों के नाम- भारत माता की जय।
प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश की सैकड़ों रियासतों, राजे-रजवाड़ों को एक करके, विविधता को आधार भारत की शक्ति बनाकर सरदार पटेल ने हिंदुस्तान को वर्तमान स्वरूप दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में हमने उनके जन्मदिवस को भारत की एकता के पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। इन छह वर्षों में देश ने गांव से लेकर शहरों तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी ने एक भारत – श्रेष्ठ भारत के संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कल से लेकर अब तक केवड़िया में जंगल सफारी, एकता मॉल, चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क जैसे अनेक नए स्थलों का लोकार्पण हुआ है। बहुत ही कम समय में सरदार सरोवर डैम के साथ जुड़ा यह भव्य निर्माण एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का, नए भारत की प्रगति का तीर्थ स्थल बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सरदार सरोवर से साबरमती रिवर फ्रंट तक सी-प्लेन सेवा का भी शुभारंभ होने जा रहा है। सरदार साहब के दर्शन के लिए, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए देशवासियों को अब सी-प्लेन सर्विस का भी विकल्प मिलेगा। ये सारे प्रयास इस क्षेत्र में पर्यटन को भी बहुत ज्यादा बढ़ाने वाले हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भी अद्भुत संयोग है कि आज ही वाल्मीकि जयंती है। आज हम भारत की जिस सांस्कृतिक एकता का दर्शन करते हैं, जिस भारत को अनुभव करते हैं, उसे और जीवंत और ऊर्जावान बनाने का काम सदियों पहले आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने ही किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम के आदर्श, उनके संस्कार अगर आज भारत के कोने-कोने में हमें एक दूसरे से जोड़ रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय महर्षि वाल्मिकी जी को ही जाता है।
राष्ट्र और मातृभूमि को सबसे बढ़कर मानने का महर्षि वाल्मीकि का जो मंत्र था, वही आज राष्ट्र प्रथम का मजबूत आधार है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए इस अद्भुत भावना को आज हम यहां मां नर्मदा के किनारे सरदार साहब की भव्य प्रतिमा की छांव में और करीब से महसूस कर सकते हैं। भारत की यही ताकत हमें हर आपदा से, हर विपत्ति से लड़ना सिखाती है और जीतना भी सिखाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी ने कल्पना नहीं की थी कि पूरी मानवजाति को कोरोना जैसी महामारी की सामना करना पड़ेगा। लेकिन इस महामारी के सामने देश ने जिस तरह अपने सामूहिक सामर्थ्य को, अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति को साबित किया वो अभूतपूर्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वारियर्स के सम्मान में 130 करोड़ देशवासियों ने एक होकर जो जज्बा दिखाया, एकता का जो संदेश दिया, उसने आठ महीने से हमें इस संकट से लड़ने, जूझने और विजयपथ पर आगे बढ़ने की ताकत दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत कोरोना से उभर भी रहा है और एकजुट होकर आगे भी बढ़ रहा है। यह वैसी ही एकजुटता है जिसकी कल्पना लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी। हमारे कोरोना वारियर्स हमारे पुलिस के अनेक होनहार साथियों ने दूसरों का जीवन बचाने के लिए अपना जीवन दे दिया। आजादी के बाद मानव सेवा और सुरक्षा के लिए जीवन देना इस देश के पुलिस बेड़े की विशेषता रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपदाओं और चुनौतियों के बीच ही देश ने ऐसे काम किए है जो कभी असंभव मान लिए गए थे। इसी मुश्किल समय में धारा 370 हटने के बाद कश्मीर ने समावेश का एक साल पूरा किया। अन्य विरासतों के साथ ही यह कार्य भी सरदार साहब के ही जिम्मे अगर होता, तो आज आजादी के इतने वर्षों बाद यह काम पूरा करने की नौबत मुझ पर नहीं आती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार साहब का वो काम अधूरा था। उन्हीं की प्रेरणा से 130 करोड़ देशवासियों को उस कार्य को पूरा करने का भी सौभाग्य मिला। कश्मीर के विकास में जो बाधाएं आ रही थीं, उन्हें पीछे छोड़कर अब कश्मीर विकास के नए मार्ग पर बढ़ चुका है। चाहे नॉर्थईस्ट में शांति की बहाली हो, या नॉर्थईस्ट के विकास के लिए उठाए जा रहे कदम, आज देश एकता के नए आयाम स्थापित कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ के पुनर्निर्माण से सरदार पटेल ने भारत के सांस्कृतिक गौरव को लौटाने का जो यज्ञ शुरू किया था, उसका विस्तार देश ने अयोध्या में भी देखा है। देश राममंदिर पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले का साक्षी बना है, और भव्य राममंदिर को बनते भी देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की भूमि पर नजर गड़ाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने की ताकत हमारे वीर जवानों में है। आज भारत सीमाओं पर सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कें बना रहा है, दर्जनों ब्रिज, अनेक सुरंगें बना रहा है। अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए आज का भारत पूरी तरह तैयार है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के माहौल में दुनिया के सभी देशों को, सभी सरकारों को, सभी पंथों को, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बहुत ज्यादा जरूरत है। शांति-भाईचारा और परस्पर आदर का भाव ही मानवता की सच्ची पहचान है। आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता। आतंकी पीड़ा को भारत भली-भांति जानता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद को हमेशा अपनी एकता से, अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से जवाब दिया है। आज पूरे विश्व को भी एकजुट होकर हर उस ताकत को हराना है जो आतंकवाद के साथ है, आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी। यह तस्वीर थी पुलवामा हमले की। देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो हमले में अपना राजनीतिक स्वार्थ देख रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय उन वीरों की तरफ देखते हुए मैं विवादों से दूर रहकर सारे आरोपों को झेलता रहा, भद्दी—भद्दी बातों को सुनता रहा। मेरे दिल पर वीर शहीदों का गहरा घाव था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि, देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह हमेशा याद रखना है कि हम सभी के लिए सर्वोच्च हित- देशहित है। आज अवसर है इस विराट और भव्य व्यक्तित्व के चरणों मे हम उसी भारत के निर्माण का संकल्प दोहराएं, जिसका सपना सरदार पटेल ने देखा था।