नंदीग्राम/दक्षिण भारत। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सत्ता बचाने में तो कामयाब रही, लेकिन उसे नंदीग्राम में तगड़ा झटका लगा। पार्टी का नेतृत्व कर रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोरशोर से रैलियां कीं, प्रधानमंत्री मोदी सहित भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उनकी कोशिशें अन्य सीटों पर तो पक्ष में नतीजे लेकर आ गईं, बस नंदीग्राम में नैया पार नहीं लगी।
यहां ममता बनर्जी मामूली अंतर से हारी हैं लेकिन उनकी छवि को झटका लगा है। इससे भाजपा को यह आरोप लगाने का भरपूर अवसर मिलेगा कि ममता को नंदीग्राम की जनता ने नकार दिया है। बंगाल में दीदी की जो छवि है, उसके आधार पर चुनाव से पहले बहुत कम लोगों को यह विश्वास रहा होगा कि वे नंदीग्राम सीट हार जाएंगी।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, ममता बनर्जी को कुल वोटों का 47.64 प्रतिशत मिला है। उन्हें 1,07,937 ईवीएम वोट, 871 पोस्टल वोट और कुल 1,08,808 वोट मिले हैं। दूसरी ओर, भाजपा के शुवेंदु अधिकारी को कुल वोटों का 48.49 प्रतिशत मिला है।
उन्हें 1,09,673 ईवीएम वोट, 1,091 पोस्टल वोट मिले हैं। उनके खाते में कुल 1,10,764 वोट आए। इस प्रकार उन्होंने ममता बनर्जी को 1,956 वोटों से शिकस्त दी। नंदीग्राम से कुल 8 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें सबसे कम वोट निर्दलीय उम्मीदवार सुब्रत बोस को 73 मिले हैं। वे कुल वोटों का 0.03 प्रतिशत पा सके।
जो बंगाल कभी कम्युनिस्टों का गढ़ रहा, उनका नंदीग्राम में प्रदर्शन अत्यंत निराशाजनक रहा है। यहां सीपीआईएम की मीनाक्षी मुखर्जी मात्र 6,267 वोट ले पाईं, जिनमें ईवीएम वोट 6,198 और पोस्टल वोट 69 थे। उन्हें कुल वोटों का महज 2.74 प्रतिशत मिला।
नंदीग्राम से नोटा ने 1,000 का आंकड़ा पार कर लिया। उसे कुल 1,090 वोट मिले, जिनमें एक पोस्टल वोट शामिल है। हालांकि यह कुल वोटों का 0.48 प्रतिशत था। इस सीट से चार उम्मीदवार निर्दलीय थे जिनके कुल वोटों का आंकड़ा 1,250 को भी नहीं छू सका। यह 1,236 तक ही पहुंच पाया। नोटा और निर्दलीयों के वोटों को शामिल करें तो यह 2,326 होता है। अगर तृणमूल कांग्रेस यह आंकड़ा अपनी ओर करने में सफल हो जाती तो नंदीग्राम सीट उनके खाते में जाती।