आगरा। मदर्स-डे पर ताजनगरी से बेहद चौंका देने वाला मामला सामने आया है। नागालैंड की महिला के पति की सात महीने पहले मौत हो गई थी। उसके अंतिम संस्कार के लिए महिला को अपने सात वर्ष के बेटे को दो हजार रुपए में गिरवी रखना प़डा। छु़डाने के लिए ४० रुपए रोज कमाकर भी रकम जमा नहीं हो पा रही थी। इसके बाद वह अपने जेठ के कहने पर आगरा चली आई, लेकिन यहां पर भी काम नहीं मिला और हालात ये हो गए कि उसे अपने दो मासूम बच्चों को नाली का पानी और कू़डे से खाना निकालकर खिलाना प़डा। जब लोगों को तरस आया तो इस मां को पैसे दिए, जिससे वह अपने बेटे को छु़डा सके।€द्भय् ब्स् झ्रूद्यय् द्बय्द्बध्य्?दरअसल, सात महीने पहले नागालैंड की रहने वाली रीता के पति की मौत हो गई थी। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसका अंतिम संस्कार कर सके। उसने गांव के महाजन से अपने सात वर्ष के बेटे को दो हजार रुपए में गिरवी रख दिया और पति का अंतिम संस्कार किया। बचे पैसों से कुछ दिन घर का खर्च चला, लेकिन बेटे को छु़डाने के लिए पैसे नहीं हो पा रहे थे।बेटे को छु़डाने के लिए रीता ने काम की तलाश की, लेकिन काम नहीं मिला। अंत में वह अपने जेठ पप्पू और अन्य लोगों के साथ काम की तलाश में आगरा आ गई, लेकिन उन लोगों ने भी साथ छो़ड दिया। वह दर-दर भटकने को मजबूर हो गई। उसके पास खाने को पैसे भी न थे। उसने झूठन खाकर और नाली का पानी पिलाकर बच्चों का पेट भरा।शनिवार (१३ मई) को रीता बच्चों को लेकर शाह मार्केट में भटक रही थी। बच्चे भूख और प्यास से परेशान थे। वह पानी लेने दुकानदार के पास गई तो उसे दुत्कारकर भगा दिया गया। वह अपने दो बच्चे को नाली का पानी पिला रही थी। इतने में एक दुकानदार की नजर प़डी। उसने पानी खरीदकर उसे पिलाया। सूचना मिलने पर ’’महफूज नेटवर्क’’ पश्चिमी यूपी के कोऑर्डिनेटर नरेश पारस रीता के पास पहुंचे। रीता ने बताया, चाय के बागानों में काम करके अपने बच्चों को पेट भर रही थी, लेकिन गिरवी रखे बेटे को छु़डाने के लिए पैसे नहीं जुटा पा रही थी। बेटे को मुक्त कराने के लिए दो हजार रुपए कमाने ३ वर्ष की बेटी और डे़ढ वर्ष के बेटे को लेकर आगरा आई थी, लेकिन हर जगह दुत्कार मिली। मदद के लिए थाने भी गई, लेकिन पुलिस ने भी भगा दिया।नरेश पारस ने मामले की सूचना आशा ज्योति केंद्र को दी। करीब ढाई घंटे बाद काउंसलर सीमा अब्बास एक महिला कांस्टेबल को लेकर पहुंची। बातचीत की तो महिला ने बताया कि वह पुलिस स्टेशन नहीं, घर जाना चाहती है। इस पर आशा ज्योति केंद्र की टीम भी महिला को स़डक पर छो़डकर चली गई। नरेश ने दुकानदारों की मदद से रीता को टूंडला स्टेशन पहुंचाया। यहां से डीब्रूग़ढ टाउन गोहाटी ब्रह्मपुत्र मेल ट्रेन की टिकट दिलाई। साथ ही जीआरपी और आपीएफ को इसकी सूचना दे दी। इसके साथ ही नरेश पारस ने कोहिमा पुलिस को भी इस घटना की जानकारी दी। कोहिमा पुलिस के डीएसपीओ और महिला थाना पुलिस की रीता से बात कराई।नागालैंड, दीमापुर महिला थाना की एसआई असेंगला ने नरेश को धन्यवाद देते हुए कोहिमा में महिला को उतारकर उसके बच्चे को मुक्त कराने की बात कही।बाजार के दुकानदारों ने महिला को खाना लिखाया, उसके लिए तीन दिन का खाने का सामान पैक करके दिया। बच्चों को कप़डे और चप्पल दिए। महिला को तीन हजार रुपए दिए गए, जिससे वह दो हजार में अपने बच्चे को छु़डा ले और बाकि रास्ते में खाने-पीने के लिए। वह अपने बच्चों के साथ मंगलवार को अपने घर पहुंचेगी।
सात वर्षीय मासूम को गिरवी रख मां ने किया पति का अंतिम संस्कार
सात वर्षीय मासूम को गिरवी रख मां ने किया पति का अंतिम संस्कार