बेंगलूरु। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को उन विद्यार्थियों को चेताया है, जो उच्चतर शिक्षा पूरी करने के बाद विदेशों में ब़डे फायदे, ओहदे और ब़डी कमाई का सपना देखा करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में इन दिनों जिस प्रकार से संरक्षणवाद की हवा चल रही है, उसे देखते हुए आने वाले समय में भारतीय उच्च शिक्षित युवक-युवतियों को विदेश जाकर रोजगार के अवसर तलाशने के कम विकल्प हासिल होंगे। राष्ट्रपति मुखर्जी आज यहां के प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस समय सिर्फ दो देश ऐसे हैं, जो भारतीय प्रतिभाओं को अपने यहां बेहतरीन मौके हासिल करने में रुकावट डाल रहे हैं। भविष्य में ऐसे देशों की संख्या में ब़ढोत्तरी होना स्वाभाविक है। अपने दीक्षांत संबोधन से कुछ समय के लिए परे हटते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने इस बात को रेखांकित किया कि विद्यार्थियों को देश में ही रहकर मौलिक विज्ञान शोध पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने भारत की विशाल युवा आबादी की दक्षताओं में ब़ढोत्तरी करने की जरूरत भी रेखांकित की है। इससे दुनिया के अन्य देशों पर भारत को युवा आबादी के मामले में मिली ब़ढत का फायदा हमें मिल सकेगा। राष्ट्रपति ने कहा, ’’वर्ष २०३० तक देश की आबादी का ५० फीसदी २७ वर्ष से कम उम्र की होगी। देश को इस ब़ढत का पूरा फायदा उठाना चाहिए। हमें इस वर्ग को विभिन्न क्षेत्रों में पूर्णत: दक्ष कामगारों में तब्दील करना होगा। इसके लिए बहुत जल्दी जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो युवा वर्ग देश पर बोझ बन जाएगा। वहीं, अगर हम इस वर्ग की दक्षताओं को निखारने के लिए जरूरी उन्हें इनपुट्स नहीं दे पाते हैं तो देश में एक विस्फोटक स्थिति उत्पन्न होगी।’’ मुखर्जी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के शुरुआती दिनों की तरह इस क्षेत्र में आज भारत को अन्य देशों पर भारी ब़ढत हासिल नहीं है। पूर्व में इसके पास आईटी क्षेत्र में दक्ष कामगारों की कोई कमी नहीं थी लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं हैै।राष्ट्रपति के रूप में अपना पांच वर्षों का कार्यकाल जल्दी ही पूरा करने जा रहे प्रणब मुखर्जी ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के रूप में यह आईआईएस का उनका आखिरी दौरा है। उन्होंने देश के इस सर्वाधिक प्रतिष्ठित और दुनिया के श्रेष्ठ उच्चतर शिक्षा संस्थानों की कतार में पांचवें पायदान पर जगह बना चुके संस्थान से काफी समय तक विजिटर के तौर पर जु़डे होने पर गर्व जताया। वहीं, उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि देश में बेहतरीन शिक्षकों की कमी के कारण भविष्य की पीि़ढयों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना प़ड सकता है। हालत में सुधार की जरूरत महसूस की जाने लगी है। उन्होंने ऐसे अनुभवी शिक्षकों से दूसरों को प्रेरित करने के लिए आगे आने की अपील की, जो अपने क्षेत्र में देश की बेहतरीन सेवा कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया द्वारा पूर्व में की गई इस टिप्पणी की सराहना की कि बेहतर शिक्षक ही अपने शिक्षार्थियों में विभिन्न विषयों के प्रति उत्सुकता जागृत कर सकते हैं। इस प्रकार के शिक्षकों की देश को अत्यधिक आवश्यकता है।दीक्षांत समारोह को बतौर सम्मानित अतिथि संबोधित करते हुए सिद्दरामैया ने कहा कि अच्छे शिक्षकों की कमी आज देश के लिए सबसे ब़डी चुनौती बन चुकी हैं एक अच्छा शिक्षक वह होता है, जो विद्यार्थियों के जीवन को निश्चित आकार देने के विशालकार उत्तरदायित्व को पूरी तरह से समझता है। शिक्षक वह है, जो विद्यार्थियों को सोचना सिखाए और उनके विचारों तथा विश्वासों पर भी अपना छाप छो़ड सके। यही सोच और विचार की विधि ही आदमी का जीवन भर मार्गदर्शन करती हैं। सिर्फ ऐसा संभव हुआ तभी देश में सामाजिक बदलाव की गुंजाइश बनेगी, जिसकी आज हमारे समाज को बेहद जरूरत है। प़ढाना सबसे महत्वपूर्ण पेशा है लेकिन आज इस पेशे को वह प्रतिष्ठा हासिल नहीं है, जिसका यह हकदार है।
राष्ट्रपति ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया द्वारा पूर्व में की गई इस टिप्पणी की सराहना की कि बेहतर शिक्षक ही अपने शिक्षार्थियों में विभिन्न विषयों के प्रति उत्सुकता जागृत कर सकते हैं। इस प्रकार के शिक्षकों की देश को अत्यधिक आवश्यकता है।