कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि देश में शुरू की गई प्रत्येक सुधार प्रक्रिया में निरंतरता रही है। उन्होंने कहा, पचास के दशक की शुरुआत में विकास के लिए योजनाओं की प्रक्रिया शुरू होने से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा वर्ष १९९१ में भारतीय अर्थव्यवस्था को खुला रूप देने तक हमने हमेशा जमीनी हकीकत के साथ तालमेल बनाया है। यहां भारतीय सांख्यिकी संस्थान में एक समारोह के दौरान प्रणब ने कहा, इसमें हमेश निरंतरता रही है। प्रणब का राष्ट्रपति कार्यकाल २५ जुलाई, २०१७ को समाप्त हो रहा है। प्रणब ने कहा, वर्ष १९९१ में जब उदारवादी प्रक्रिया शुरू की गई तो, उसे लेकर बहुत वाद-विवाद हुआ। जनता दो हिस्सों में बंट गई थी, विचार देने वालों और विचार ग्रहण करने वालों। उन्होंने कहा, उदारवादी प्रक्रिया ने हमें बेमतलब के प्रशासनीक नियंत्रण से मुक्ति दिलाईऔर उसी दौरान पीसी महलनोविस की विकास योजना के मॉडल पर सवाल किया गया।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने भारत में सुधारों के इतिहास में निरंतरता को रेखांकित किया
राष्ट्रपति मुखर्जी ने भारत में सुधारों के इतिहास में निरंतरता को रेखांकित किया