नई दिल्ली। विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ. बलबीर सिंह चौहान का मानना है कि भारतीय विधिक प्रणाली इतनी जटिल और खर्चीली है कि गरीब लोग इस तक पहुंच ही नहीं पाते। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चौहान यहां कैदियों के अधिकारों पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जमानत की शर्तें भी इतनी जटिल हैं कि किसी गरीब के पक्ष में किसी वकील के ख़डा होने तक उसे जेल में ही रह कर कानून में प्रदत्त पूरी सजा की अवधि गुजारनी होगी जबकि रईस व्यक्ति को अग्रिम जमानत मिल जाएगी। न्यायमूर्ति चौहान ने कहा, सवाल यह है कि हमारी विधिक प्रणाली और जमानत की शर्तें इतनी जटिल हैं कि गरीब आदमी अदालतों में जाने का साहस ही नहीं कर सकता जबकि रईस व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले ही जमानत के लिए अदालत पहुंच सकता है। उन्होंने न्याय व्यवस्था उपलब्ध कराने में रईसों और गरीबों के बीच इस भेदभाव के लिए ब़डे वकीलों को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ब़डे वकील किसी भी तरह के गंभीर अपराध का बचाव कर सकते हैं। मैं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुआ हूं, यदि मेरा ही कोई मामला हो तो मैं उनकी सेवाएं नहीं ले सकता। आजकल वे बहुत मंहगे हैं और वे टैक्सी की तरह प्रति घंटा, प्रति दिन के हिसाब से फीस लेते हैं।
बड़े वकील टैक्सी के मीटर की तरह फीस लेते हैं : न्यायमूर्ति चौहान
बड़े वकील टैक्सी के मीटर की तरह फीस लेते हैं : न्यायमूर्ति चौहान