जीएसटी का क्रियान्वयन उम्मीद से ज्यादा सुगम रहा : जेटली

जीएसटी का क्रियान्वयन उम्मीद से ज्यादा सुगम रहा : जेटली

मुंबई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार लप कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का शुरुआती क्रियान्वयन उम्मीद से ज्यादा सुगम रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य के बीच शीर्ष स्तर पर निर्णय करने की प्रक्रिया का तार्किक संस्थानीकरण किया गया। साथ ही इस प्रक्रिया ने दिन-प्रतिदिन के मुद्दों को तेजी से सुलझाने की व्यवस्था बनाई।यहां इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की ७०वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, वैकल्पिक कर प्रणाली के क्रियान्वयन के यह शुरुआती दिन हैं। जहां तक है यह उम्मीद से कहीं ज्यादा सुगम रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के तहत अधिकतर लोग स्वयं शामिल हो रहे हैं और यह धीरे-धीरे ब़ढ रहा है। जीएसटी को इस साल एक जुलाई से लागू किया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था एकल कर व्यवस्था के तहत आ गई है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) धीमी यानी ५.७ प्रतिशत की गति से ब़ढा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीन साल के कार्यकाल में जीडीपी की वृद्धि दर का सबसे निचला स्तर है। इसके पीछे अहम कारण जीएसटी को लागू करने से विनिर्माण का धीमा होना और नोटबंदी का प्रभाव होना है। वित्त मंत्री जेटली ने हाल ही में जीडीपी में गिरावट की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि इसकी वजह जीएसटी से पहले के स्टॉक को खत्म करना रही। साथ ही उम्मीद जतायी कि विनिर्माण क्षेत्र के आगे ब़ढने से अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से ब़ढने की उम्मीद है।नोटबंदी पर जेटली ने कहा कि यह एक सोच-समझकर उठाया गया कदम था ताकि भारतीय समाज के बचत और खर्च के तरीके को बदला जा सके क्योंकि यह ब़डे पैमाने पर नकद आधारित था। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था और देश में बहुत कुछ हुआ है। इसके अलावा बैंकिंग प्रणाली को लेकर कई चिंताएं हैं क्योंकि वह अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। कुछ ही हफ्तों में नोटबंदी को सफलतापूर्वक संभालने के साथ-साथ वित्तीय समावेशन के लिए सारा श्रेय हमारे बैंकिंग क्षेत्र को जाता है। उन्होंने माना कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए दबाव वाली संपत्तियां चिंता का प्रमुख विषय हैं।जेटली ने कहा, फंसे कर्ज की ब़ढती संख्या ब़डी चुनौती है। यह आज की चिंता का वास्तव में सबसे प्रमुख विषय है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए जिन भी कदमों की आवश्यकता होगी सरकार उठाएगी।

About The Author: Dakshin Bharat