जयपुर। फिल्म पद्मावती का विवाद राजनीतिक संगठनों के लिए फायदे की रोटी सेकने वाला साबित हो रहा है। नए घटनाक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एमपी में फिल्म ’’पद्मावती’’ को बैन करने का निर्णय किया है।मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के फिल्म बैन करने का निर्णय सबसे अधिक राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए मुसीबतें ब़ढाने वाला है। राजस्थान के मेवा़ड से सबंध रखने वाली महारानी पद्मिनी पर बनी विवादित फिल्म को अब राजस्थान में भी बैन करने की मांग और अधिक हवा पक़डेगी। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए यूपी में फिल्म रिलीज को सवाल उठा चुके है।शिवराज ने फिल्म पर बैन लगाने के साथ कहा है कि पद्मावती राष्ट्रमाता है और इतिहास से छे़डछा़ड बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फिल्म का जब से निर्माण शुरू हुआ था, तभी से राजस्थान में बवाल मचा हुआ है। जयपुर में फिल्म की शूटिंग करते समय करणी सेना के सदस्यों ने निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की पिटाई तक कर दी थी। अब जब फिल्म बन कर तैयार है, तो राजस्थान में सबसे अधिक विरोध दर्ज करवाया जा रहा है।द्यय्ज्ष्ठ द्मष्ठ ्यप्प्य्यख्रत्र ्यब्डफ्य् ब्ट्टय्द्मष्ठ ·र्ैंह् ·र्ैंब्य्, द्यय्ज्झ्रूत्र ृठ्ठणक्कष्ठ ब्स्र द्धस्द्म झ्द्यहालांकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दो दिन पूर्व केन्द्रीय सूचना प्रसारणी मंत्री को पत्र लिखकर फिल्म के विवादित हिस्से हटाने की मांग कर चुकी है। लेकिन फिल्म के विरोध में सुर मुखर करने वाली करणी सेना व अन्य कई सामाजिक व राजनीतिक संगठन फिल्म बैन की मांग कर रहे हैं।वहीं शिवराज सिंह चौहान के फिल्म बैन के निर्णय को राजनीतिक विश्लेषक आगामी चुनावों से भी जो़डकर देख रहे हैं। जानकारों को कहना है गुजरात में हो रहे चुनाव और आगामी वर्ष राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसग़ढ के चुनावों में भाजपा इस मुद्दे का फायदा उठाना चाहती है। हालांकि पद्मावती फिल्म बैन पर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों की राय एक ही है।
‘पद्मावती’ के खिलाफ शिवराज के बयान से पसोपेश में फंसी वसुंधरा
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