रियल इस्टेट क्षेत्र में होगा 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश

रियल इस्टेट क्षेत्र में होगा 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश

बेंगलूरु। भारतीय रियल इस्टेट क्षेत्र में वर्ष २०२० तक १० बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश आ सकता है। यह कहना है उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का। शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने कहा, ’’देश में आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों की ब़ढती मांग के मद्देनजर रियल इस्टेट क्षेत्र में तेज उछाल देखने को मिला है। उम्मीद की जा रही है कि वर्ष २०२० तक इस क्षेत्र में १० बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश किया जा सकता है।’’ २८वें ऑल इंडिया बिल्डर्स कन्वेंशन के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में उप राष्ट्रपति ने कहा कि औद्योगिक नीति और प्रोमोशन विभाग (डीआईपीपी) के मुताबिक, भारतीय रियल इस्टेट क्षेत्र में अप्रैल २००० से जून २०१७ तक २४.५४ बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश किया गया। वर्ष २०२० तक भारतीय रियल इस्टेट क्षेत्र का कारोबार १८० बिलियन डॉलर के आंक़डे को छू लेगा। इस क्षेत्र के लिए जरूरी नियामक कदम उठाए जाने से निजी इक्विटी निवेश में तेज ब़ढोत्तरी की उम्मीद बंधी है। नायडू ने कहा कि देश में १०० स्माट सिटी विकसित करने की योजना से कंस्ट्रक्शन उद्योग को अपनी क्षमताओं में तेजी से वृद्धि करने का प्रोत्साहन मिला है। भविष्य की जरूरतों और मांग के मद्देनजर इन्हें विश्व स्तरीय मानकों पर खरे उतरने की तैयारी भी शुरू करनी होगी। यही वजह है कि अलग से कौशल विकास मंत्रालय गठित किया गया है, ताकि भारतीय श्रमबल की उत्पादकता भी विश्वस्तरीय हो। ्यप्प्रप् ·र्ैंय् त्रर्‍फ्द्यय् ृत्र्श्चत्रैंख़य् द्धद्मष्ठख्य् द्नय्द्यत्रउप राष्ट्रपति ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से जो रुकावटें और अ़डचनें सामने आई थीं, उनसे उबरते हुए भारतीय अर्थतंत्र वित्त वर्ष २०१८-१९ के दौरान ७.२ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से विकसित होने को तैयार है। माना जा रहा है कि अगले १०-१५ वर्षों के अंदर भारत विश्व का तीसरा सबसे ब़डा अर्थतंत्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए अपने स्तर पर हर संभव कदम उठा रही है। खास तौर पर लालफीताशाही की वजह से विकास की राह में उत्पन्न होनेवाली रुकावटें दूर करने और देश में कारोबार की राह आसान करने पर खास ध्यान दिया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि भारत ने विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूची में ३० पायदान की उंची छलांग लगाई है। नायडू ने कहा कि भारतीय निर्माण उद्योग इस समय ४० मिलियन श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। वहीं, राष्ट्रीय योजनाओं पर आने वाले कुल खर्चों में इसकी हिस्सेदारी ६० प्रतिशत से अधिक होती है। उन्होंने कहा, ’’निश्चित रूप से यह देश के जीडीपी विकास के मामले में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाला क्षेत्र है। नीति आयोग ने इस क्षेत्र में एकीकृत, संतुलित और मानक कंट्रैक्ट दस्तावेज तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने की पहल की है। इसका फायदा रियल इस्टेट क्षेत्र के हर अंशधारक को होगा। यह कंट्रैक्ट दस्तावेज एफआईडीआईसी के कंट्रैक्ट दस्तावेज की ही तरह होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र के सामने उभरने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए सभी प्रक्रियाएं सरल बनाने पर विचार करेगी। इनमें भूमि अधिग्रहण, एकल खि़डकी अनुमति और सीमेंट की कालाबाजारी से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के लिए सीमेंट नियामक व्यवस्थाएं शामिल हैं। ·र्ष्ठैं़त्त्श्न ·र्ैंर्‍ द्भह्ज्द्मय् ृद्बल्त्र फ्ष्ठ ्यद्बध्ष्ठख्य् झ्श्नह्ह्वफ्य्ब्द्मनायडू ने कहा कि ’’सबके लिए आवास’’ और ’’अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन’’ (अमृत) जैसी केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं देश में आवास और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को जबर्दस्त प्रोत्साहन देंगी। यह क्षेत्र कृषि के बाद देश के विकास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला दूसरा सबसे ब़डा हैै। नायडू ने इस क्षेत्र में सक्रिय कारोबारियों से अपील की कि वह सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए ब़डे कदम उठाएं। उन्होंने कहा, ’’केंद्र सरकार एक सर्व समावेशी और समानता पर आधारित समाज के निर्माण कर रही है। इस प्रयास में निजी उद्योग जगत को अपना पूरा योगदान देना चाहिए्। खास तौर पर कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्रों में कॉर्पोरेट जगत के योगदान की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।’’

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