संविधान को पवित्र बताना और दीनदयाल की तारीफ करना साथ-साथ नहीं चल सकता : थरूर

संविधान को पवित्र बताना और दीनदयाल की तारीफ करना साथ-साथ नहीं चल सकता : थरूर

जयपुर। कांग्रेस सांसद एवं लेखक शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि मोदी देश के संविधान को पवित्र तो कहते हैं, लेकिन वह हिंदुत्व के पुरोधा पंडित दीन दयाल उपाध्याय को नायक के तौर पर सराहते भी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकतीं। जयपुर साहित्योत्सव में ६१ साल के थरूर ने कहा कि हिंदुओं को उठ ख़डे होने और यह समझने की सख्त जरूरत है कि उनके नाम पर क्या किया जा रहा है और इसके खिलाफ बोलने की जरूरत है।पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने कहा, हमें सही को सही और गलत को गलत कहने की जरूरत है। हम ऐसे देश में रह रहे हैं जहां एक तरफ तो प्रधानमंत्री कहते हैं कि संविधान पवित्र ग्रंथ है और दूसरी तरफ वह एक नायक के तौर पर प्रशंसा करते हैं और अपने मंत्रालयों को निर्देश देते हैं कि वे उस दीन दयाल उपाध्याय के कार्यों, लेखन एवं शिक्षण को पढें और प़ढाएं जो साफ तौर पर संविधान को खारिज करते हैं और जो कहते हैं कि संविधान मूल रूप से त्रुटिपूर्ण है। दोनों विचार विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा, एक ही वाक्य में आपके ये दोनों विचार नहीं हो सकते। ये दोनों होना और हमारे सार्वजनिक विमर्श में लंबे समय तक इसका यूं ही बचकर निकल जाना मुझे परेशान करता है। दिग्गी पैलेस में हो रहे जयपुर साहित्योत्सव में थरूर ने कहा कि उपाध्याय का मानना था कि संविधान इस त्रुटिपूर्ण धारणा पर टिका है कि राष्ट्र भारत का एक भू-भाग है और सारे लोग इसमें हैं।थरूर ने कहा, जबकि वह (उपाध्याय) कहते हैं कि यह सही नहीं है, राष्ट्र कोई भू-भाग नहीं है, यह लोग है और इसलिए हिंदू लोग हैं। इसका मतलब है कि आपको हिंदू राष्ट्र चाहिए और संविधान में यह झलकना चाहिए, लेकिन उसमें तो ये बातें है ही नहीं। उन्होंने कहा कि यही सबसे ब़डा विरोधाभास है। उन्होंने कहा, आप एक ही समय में उपाध्याय और संविधान की तारीफ नहीं कर सकते। तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने खुद को स्वामी विवेकानंद के उपदेशों का भक्त करार देते हुए कहा कि मतभेदों को स्वीकार करना ही हिंदुवाद के हृदय में है।

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