नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि उसने केंद्र के समक्ष कानून में संशोधन कर कम-से-कम पांच वर्ष की सजा के प्रावधान वाले अपराध के आरोपी को अदालत द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद चुनाव ल़डने से रोकने का प्रस्ताव रखा है। शीर्ष न्यायालय में एक हलफनामे के जरिये आयोग ने कहा कि उसने राजनीति को अपराध मुक्त बनाने के लिए सक्रियता के साथ कदम उठाए हैं और सिफारिश की है लेकिन राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी कदम उठाने के लिए कानून में संशोधन की जरूरत होगी जो चुनाव निकाय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उसने कहा कि ऐसे लोग जिनके खिलाफ कम-से-कम पांच वर्ष की सजा के प्रावधान वाले अपराध में अदालत द्वारा आरोप तय किए जा चुके हैं, उन्हें चुनाव ल़डने से रोका जाना चाहिए। बशर्ते मामला चुनाव से छह महीने पहले दर्ज किया गया हो।प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सोमवार को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी। हलफनामे में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों का पंजीकरण खत्म करने की शक्ति दी जानी चाहिए और उन्हें दलों का पंजीकरण करने और पंजीकरण खत्म करने को विनियमित करने के लिए आवश्यक आदेश देने की शक्ति दी जानी चाहिए। अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर यह हलफनामा दायर किया गया। उन्होंने दोषी ठहराए गए लोगों द्वारा राजनीतिक दल के गठन करने और ऐसे लोगों के चुनाव नियमों के तहत अयोग्यता की अवधि में पदाधिकारी बनने पर रोक लगाने की मांग की गई है। शीर्ष न्यायालय ने आठ जनवरी को केंद्र और चुनाव अयोग को मामले पर गंभीरता से विचार करने और अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
गंभीर अपराधों का सामना कर रहे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाए
गंभीर अपराधों का सामना कर रहे लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाए