अदालतों द्वारा कोई समानांतर जांच नहीं हो सकती

अदालतों द्वारा कोई समानांतर जांच नहीं हो सकती

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने ११ हजार करो़ड रुपए से अधिक के पंजाब नेशनल बैंक धोखाध़डी मामले में शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि जांच में अदालत द्वारा कोई समानांतर जांच और समानांतर निगरानी नहीं हो सकती है। केंद्र ने शीर्ष अदालत के सीबीआई को दिये उस सुझाव का भी विरोध किया जिसमें इस मामले की जांच की स्थिति रिपोर्ट मोहरबंद लिफाफे में दाखिल करने की बात कहीं गई थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बताया कि जांच एजेंसियों के मामले की जांच शुरू करने से पहले लोग जनहित याचिकाओं के साथ अदालतों में आ जाते है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचू़ड भी शामिल थे। वेणुगोपाल ने पीठ को बताया, क्या किसी को पीआईएल दाखिल करके इस अदालत में आने का कोई औचित्य है और कहते है कि अदालत को जांच की स्थिति के बारे में सूचित किया जाना चाहिए्। अदालतों द्वारा समानांतर जांच और समानांतर निगरानी नहीं की जा सकती हैं्।अटॉर्नी जनरल ने यह भी तर्क दिया कि जब तक याचिकाकर्ता द्वारा कुछ गलत दिखाई नहीं दे तो इस तरह की याचिकाओं पर अदालतों द्वारा क्यों विचार किया जायें्। इस मुद्दें को गंभीर बताते हुए वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि इस तरह के मामले से जांच एजेंसियों का मनोबल गिरेगा। वकील विनीत ढांडा ने एक याचिका दायर करके पीएनबी मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी। अटार्नी जनरल ने इस याचिका का विरोध किया। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ( सीबीआई) ने लगभग११,४०० करो़ड रुपये के कथित घोटाला मामले में अरबपति हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उनके रिश्तेदार मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थीं्। पहली प्राथमिकी३१ जनवरी को दर्ज की गई थी जबकि एक अन्य प्राथमिकी फरवरी में दर्ज की गई थी।सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता की इस बात पर आपत्ति जताई कि अटार्नी जनरल ने याचिका में उसके द्वारा किये गये आग्रह को नहीं पढा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, अटॉर्नी जनरल एक संवैधानिक पद पर है। हमें उनसे क्यों पूछना चाहिए कि क्या उन्होंने इसे प़ढा है या नहीं्। इस अदालत में भाषा सभ्य और बिल्कुल उपयुक्त है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के बयान अस्वीकार्य है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई की तिथि नौ अप्रैल तय की।पीआईएल में पीएनबी, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय तथा कानून एवं न्याय मंत्रालय को पक्षकार के रूप में बनाया गया है। याचिका में बैंकिंग धोखाध़डी में कथित रूप से शामिल नीरव मोदी और अन्य के खिलाफ दो महीने के भीतर निर्वासन की कार्यवाही शुरू करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है। याचिका में मामले की जांच विशेष जांच दल( एसआईटी) से कराने का भी आग्रह किया गया है।

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