जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर

जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर

जनसंख्या.. प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली/भाषा। दिल्ली उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक ऐसी जनहित याचिका दायर की गई जिसमें केंद्र को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।

भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने इस आधार पर याचिका दायर की है कि देश में अपराध, प्रदूषण बढ़ने और संसाधनों एवं नौकरियों की कमी का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है।

याचिका में जनसंख्या नियंत्रण के लिए न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अगुवाई में राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) की सिफारिशें लागू करने का भी अनुरोध किया गया।

याचिका में कहा गया, एनसीआरडब्ल्यूसी ने दो साल तक काफी प्रयास और व्यापक चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 47ए शामिल करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था।

याचिका में कहा गया है, अब तक संविधान में 125 बार संशोधन हो चुका है, सैकड़ों नए कानून लागू किए गए लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया जिसकी देश को अत्यंत आवश्यकता है और जिससे भारत की 50 प्रतिशत से अधिक समस्याएं दूर हो सकती हैं।

इसमें अदालत से यह आदेश देने की भी मांग की गई कि केंद्र सरकारी नौकरियों, सहायता एवं सब्सिडी के लिए दो बच्चों का नियम बना सकता है और इसका पालन नहीं करने पर मतदान का अधिकारी, चुनाव लड़ने का अधिकार, सम्पत्ति का अधिकार, निशुल्क आश्रय का अधिकार, निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार जैसे कानूनी अधिकार वापस लिए जा सकते हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या चीन से भी अधिक हो गई है क्योंकि हमारी जनसंख्या के करीब 20 प्रतिशत के पास आधार कार्ड नहीं है और इसलिए सरकारी आंकड़ों में वे शामिल नहीं हैं और देश में करोड़ों रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि बलात्कार, घरेलू हिंसा जैसे जघन्य अपराधों के पीछे का एक मुख्य कारण होने के अलावा जनसंख्या विस्फोट भ्रष्टाचार का भी मूल कारण है।

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