नई दिल्ली/भाषा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में एक की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। याचिका में उसने दावा किया था कि दिसंबर 2012 में अपराध के समय वह नाबालिग था।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने अदालत की ओर से कई बार पत्र भेजे जाने के बावजूद पेश नहीं हुए दोषी के वकील एपी सिंह पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने दिल्ली बार काउंसिल को दोषी की उम्र के संबंध में अदालत में जाली हलफनामा दाखिल करने के लिए वकील के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा।
नाबालिग होने का दावा करते हुए याचिका दायर करने वाले पवन कुमार गुप्ता के अलावा मामले में तीन अन्य दोषियों में मुकेश, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह शामिल हैं।
दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। सिंगापुर में 29 दिसंबर, 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी।