नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हाल ही में हुई हिंसा के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग करने वाली पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) वजाहत हबीबुल्ला और अन्य की याचिका पर सुनवाई करने पर मंगलवार को तैयार हो गया।
न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की एक पीठ के समक्ष याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। पीठ बुधवार को इस पर सुनवाई करने को तैयार हो गई।
हबीबुल्ला, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और सामाजिक कार्यकर्ता बहादुर अब्बास नकवी ने यह याचिका दायर की है। इसमें सीएए को लेकर शाहीन बाग और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में जारी धरनों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग भी की गई है।
शीर्ष अदालत को शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने की मांग वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करनी है। अपनी नई याचिका में हबीबुल्ला, आजाद और नकवी ने आरोप लगाया कि, ‘कपिल मिश्रा, जो भीड़ को हिंसा और तोड़फोड़ के वास्ते उकसाने वाले बयान देने के लिए जाने जाते है, ने मौजपुर-बदरपुर मेट्रो स्टेशन के निकट सीएए के समर्थन में एक रैली निकाली थी। इसी मेट्रो स्टेशन से दो किलोमीटर दूर जाफराबाद में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहे थे।’
मीडिया रिपोर्टों का जिक्र करते हुए याचिका में आरोप लगाया गया है कि मिश्रा लोगों को उकसाने के बाद वहां से चले गए, जिसके बाद जाफराबाद में हिंसा हुई और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा के लिए भागने को मजबूर होना पड़ा। इसमें आरोप लगाया गया है कि 23 फरवरी के हमले में घायल हुए लोगों ने पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसमें 23 फरवरी की शाम शुरू हुए हमलों और 24 फरवरी को दिनभर चलने वाले इन हमलों के संबंध में की गई शिकायतों पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है।