नई दिल्ली/भाषा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल के निजीकरण के प्रयास के आरोपों को गलत बताते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार रेलवे का विस्तार करने, सुविधाओं को बढ़ाने एवं सुदृढ़ीकरण के लिए निजी क्षेत्र से सहयोग ले रही है। उन्होंने कहा कि पिछले करीब पांच वर्षों में रेलवे में निवेश संसाधन में ढाई गुणा एवं पूंजी व्यय में करीब तीन गुणा वृद्धि की गई है जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।
लोकसभा में वर्ष 2020-21 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि आने वाले 12 वर्षों में रेलवे में 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार को जब इतनी बड़ी राशि लगानी पड़े तो सामाजिक कल्याण योजनाओं का क्या होगा और ऐसे में क्या जनता पर कर लगाना उचित होगा।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति में समझदारी यह है कि निजी क्षेत्र का सहयोग लें, सस्ती ब्याज दर पर पैसा लाएं और निवेश करें ताकि रेलवे में सुविधाएं बढ़ें, विस्तार और सुदृढ़ीकरण हो सके। गोयल ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले करीब पांच वर्षो में निवेश संसाधन ढाई गुणा बढ़ाए। इसके साथ ही 2013-14 में 54 हजार करोड़ रुपए के बजट की तुलना में इस वर्ष बजट को बढ़ाकर 1.61 लाख करोड़ रुपया कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि रेलवे में बदली सोच के तहत 58 अति महत्वपूर्ण तथा 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लिया गया जो क्षमता उन्नयन, माल की गतिविधि, कोयला क्षेत्र आदि से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश पैसा वहां लगे जहां जमीन उपलब्ध हो, वन मंजूरी हो, अदालत का स्थगन आदेश नहीं हो।
रेल मंत्री ने कहा, ‘बदली सोच और केंद्रित तरीके से काम करने के अच्छे परिणाम आए हैं।’ मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष के कटौती प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को मंजूरी दे दी। कांग्रेस पर परोक्ष निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 60-65 साल अगर सकारात्मक तरीके से काम होता, तब रेलवे की ऐसी हालत नहीं होती। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले साढ़े पांच साल में किसी समस्या से मुंह नहीं फेरा बल्कि समस्याओं को सुलझाने का काम किया।
उन्होंने इस संबंध में सात हेल्पलाइन को मिलाकर 139 नंबर वाली एक हेल्पलाइन जारी करने का भी उल्लेख किया। रेल बजट को आम बजट में मिलाए जाने को सही ठहराते हुए गोयल ने कहा कि अलग रेल बजट एक गुब्बारा था। जो बजट पेश होता था, उस पर तालियां तो बजती थीं और चुनाव दर चुनाव उसका जिक्र होता था लेकिन जमीन पर काम नहीं होता था।
उन्होंने कहा कि रेल बजट को आम बजट में मिलाने से फर्जी घोषणाओं पर लगाम लगी है। घोषणाओं के संदर्भ में जब तक बजट नहीं मिलता है तब तक वह सिर्फ घोषणाएं ही होती हैं और वर्ष दर वर्ष उसकी लागत बढ़ती जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने रेल विद्युतीकरण, आमान परिवर्तन, सुरक्षा, स्वच्छता सहित रेलवे में सुधार एवं विस्तार की पहल की।
उन्होंने पूर्वांचल, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में 972 किलोमीटर आमान परिवर्तन का उल्लेख किया। पीयूष गोयल ने कहा कि 2013-14 में 600-625 किलोमीटर विद्युतीकरण कार्य हुआ था। हमने 6,000 किलोमीटर विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा और 5200 किलोमीटर विद्युतीकरण का कार्य किया। यह बड़ी छलांग है।
गोयल ने पूर्वोत्तर के राज्यों को रेल सम्पर्क से जोड़ने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दौरान पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्यों में कुछ न कुछ रेल पहुंची है। उन्होंने रेलवे पेंशन फंड को मजबूत बनाने के मंत्रालय की पहल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि रेलवे में आठों सर्विस को मिलाने का आम तौर पर स्वागत हुआ है और इस बारे में काफी चर्चा की गई है। इसमें सभी अधिकारियों के हित सुरक्षित रहेंगे।
रेल मंत्री ने कहा कि राज्य यदि परियोजनाओं के लिए जमीन अधिगृहीत कर सौंपेंगे, वन मंजूरी देंगे तो रेलवे इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और बीजद के अनुभव मोहंती सहित कई सदस्यों ने रेल परियोजनाओं के लंबित होने के विषय को उठाया था।
गोयल ने कहा, ‘रेलवे लाइन के लिए जमीन चाहिए। जमीन राज्य सरकार देती है। अगर जमीन नहीं होगी तब हवा में रेलवे लाइन नहीं बनेगी।’ उन्होंने लोकसभा के सभी सदस्यों को आगामी 30 मार्च को रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी देखने का निमंत्रण दिया।