मुंबई/भाषा। कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच रिजर्व बैंक ने भी मोर्चा संभाला है। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने और कर्ज सस्ता करने के लिए अपने फौरी नकदी कर्ज पर ब्याज की दर रेपो और बैंकों के आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में बड़ी कटौती जैसे कई उपायों की घोषणा की।
केंद्रीय बैंक ने देश व्यापी बंदी के चलते कर्ज की किस्त चुकाने में दिक्कतों को देखते हुए बैंकों को सावधिक कर्ज की वसूली में तीन माह टालने की सहूलियत दी है। इसके साथ कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान पर भी तीन माह के लिए रोक लगाने की अनुमति दी गई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसके सीआरआर में कटौती और नकद धन का प्रवाह बढ़ाने के कुछ अन्य उपायों से बैंकिंग जगत में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी उपलब्ध होगी। रिजर्व बैंक ने लोगों को आश्वास्त किया है कि देश की बैंक व्यवस्था मजबूत है, उनका निजी बैंकों में जमा धन पूरी तरह सुरक्षित है और लोगों को घबराकर पैसा निकालना नहीं चाहिए।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली द्विमासिक समीक्षा बैठक के बाद इन उपायों की घोषणा की। यह बैठक 24, 26 और 27 मार्च को हुई। इससे पहले यह बैठक अप्रैल की शुरुआत में होनी थी।
इससे एक दिन पहले ही वित्त मंत्रालय ने गरीबों, वंचितों, छोटे उद्योगों और बुजुर्गों तथा महिलाओं के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की जिसमें अगले तीन महीने तक गरीबों को राशन में पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो कोई भी दाल मुफ्त देने की घोषणा की गई। इसके अलावा जनधन खाता धारक महिलाओं को उनके खाते में तीन महीने में 1,500 रुपए नकद और जिन परिवारों को निशुल्क रसोई गैस दी गई, उन्हें अगले तीन महीने एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया गया है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.75 प्रतिशत घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया, वहीं रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिश्त की कमी कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक अल्पावधि के लिए बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है, वहीं रिवर्स रेपो दर के जरिए वह बाजार से अतिरिक्त नकदी को सोखता है। मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने रेपो दर में कटौती के पक्ष में जबकि दो ने विरोध में मतदान किया।
बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो इसके लिए उनके नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत पर ला दिया गया। गवर्नर ने कहा कि सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त 3.74 लाख करोड़ रुपए के बराबर अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है। जरूरत पड़ने पर नकदी बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो दर में कमी से कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम और मांग में कमी से मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति कम होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के भरोसे की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक गवर्नर के वित्तीय स्थिरता के लिए पुन: आश्वासन देने वाले शब्दों की वह सराहना करती हैं।’
सीतारमण ने वाणिज्यिक बैंकों से अपील की है कि वे रिजर्व बैंक की दरों में कमी का फायदा ग्राहकों तक शीघ्रता से पहुंचाएं। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने अनिश्चित आर्थिक माहौल को देखते हुए अगले साल के लिए आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति के बारे में अनुमान नहीं जताया।
केंद्रीय बैंक ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधि कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक रोक की छूट दी, साथ ही कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान को टाले जाने को चूक नहीं माना जाएगा, इससे कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर भी असर नहीं पड़ेगा, ऐसा उन्होंने आश्वासन दिया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश की वृहद आर्थिक बुनियाद 2008 के वित्तीय बाजार संकट के मुकाबले इस समय मजबूत है।
उधर, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान को घटा कर 2.5 प्रतिशत कर दिया है। पहले उसने इसके 5.3 प्रतिशत वृद्धि रहने का अनुमान जताया था। हालांकि 2019 की आर्थिक वृद्धि 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।