इंदौर/भाषा। कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी के परिणामों को लेकर दुनियाभर के मेडिकल समुदाय में जारी बहस के बीच इंदौर के एक निजी अस्पताल ने दावा किया है कि इस थैरेपी से गुजरी 26 वर्षीय महिला समेत चार मरीज महामारी के संक्रमण से मुक्त हो गए हैं।
श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तय प्रोटोकॉल के मुताबिक 26 वर्षीया महिला, 23 वर्षीय पुरुष, 40 वर्षीय पुरुष और 55 वर्षीय पुरुष पर प्लाज्मा थैरेपी का प्रयोग 26 अप्रैल से शुरू किया था। अब ये चारों मरीज कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हो गए हैं।’
उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थैरेपी के चिकित्सकीय प्रयोग से पहले चारों मरीजों से इसकी सहमति ली गई थी। प्रयोग के तहत इन मरीजों को तय दवा देने के साथ ही प्लाज्मा भी चढ़ाया गया था। यह प्लाज्मा उन दानदाताओं का था जो कोविड-19 के संक्रमण से पहले ही मुक्त हो चुके हैं।
डोसी ने बताया कि तय प्रोटोकॉल के तहत दवा और प्लाज्मा चढ़ाए जाने के बाद चारों मरीजों की कोविड-19 की जांच रिपोर्ट लगातार दो बार नकारात्मक आई है। इसके साथ ही, उनके फेफड़ों के सीटी स्कैन की रिपोर्ट से भी तस्दीक होती है कि वे महामारी के संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं।
बहरहाल, उन्होंने कहा, ‘हम कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी के असर को लेकर अभी किसी नतीजे की घोषणा नहीं कर रहे हैं। हम इस प्रयोग को कुछ और मरीजों पर आजमाना चाहते हैं। हम प्रयोग के परिणामों को लेकर आईसीएमआर के साथ विस्तृत ब्योरा साझा करेंगे।’
डोसी ने यह भी बताया कि उनके अस्पताल में इलाज के बाद कोविड-19 के संक्रमण से मुक्त हुए 30 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा दानदाता बनने की इच्छा जताई है।
जानकारों ने बताया कि कोविड-19 से पूरी तरह उबर चुके लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं जो भविष्य में इस बीमारी से लड़ने में उनकी मदद करती हैं। इंदौर, देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है।