अहमदाबाद/भाषा। गुजरात में जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों को लेकर तब तक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, जब तक कि इसके गंभीर मामले तथा इससे होने वाली मौतें कम हैं। कोविड-19 के रोजाना सामने आ रहे नए मामलों को हल्के (लक्षण), मध्यम (लक्षण) और गंभीर (लक्षण) की अलग-अलग श्रेणी में बांटने पर भी विचार किया जा रहा है।
गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक दिलीप मावंलकर ने कहा, ‘रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं लेकिन पहली बात जो इनके बारे में जानने की जरूरत है वह यह कि इनमें से कितने गंभीर मामले हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को यह बताना चाहिए कि कितने नए मरीज ऑक्सीजन या जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं … हमारे यहां मृत्यु दर कम दर्ज की जा रही है।’
उन्होंने कहा कि नए मामलों को हल्के (लक्षण), मध्यम (लक्षण) और गंभीर (लक्षण) की तीन अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए। मावलंकर ने कहा कि हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि मार्च और जुलाई के बीच कोविड-19 से मरने वालों की दर भारत में अन्य बीमारियों की तुलना में 1.3 प्रतिशत थी। जबकि अमेरिका में यह 13 प्रतिशत और ब्रिटेन में 17.6 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि सरकार को कोविड-19 को नियंत्रित करते समय अन्य कारणों से हो रही मौतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साथ ही सरकार को विशेषज्ञों को अधिक आंकड़ें मुहैया कराने चाहिए ताकि वैश्विक महामारी की स्थिति को और अच्छे से समझा जा सके।
सूरत नगर पालिका आयुक्त बीएन पाणी ने कहा, ‘इसको लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि केवल 400 मरीज ही अस्पताल में भर्ती हैं और करीब 500 मरीजपृथक-वास में हैं।’ उन्होंने कहा कि मामले अधिक होने की वजह से ऐसा माना जा रहा है कि स्थिति गंभीर है। लेकिन अस्पतालों में बिस्तर (बेड) खाली होने की वजह से पता चलता है कितने कम मरीज अस्पताल में भर्ती है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सूरत में अभी तक कोविड-19 के 20,885 मामले सामने आए हैं और 809 लोगों की इससे मौत हुई है। सूरत में अभी 872 मरीजों का कोरोना वायरस का इलाज जारी है। विभाग के अनुसार राज्य में अभी तक कोविड-19 के 95,155 मामले सामने आए हैं और 3,008 लोगों की इससे मौत हुई है।