जब आत्मनिर्भर होंगे गांव-शहर, पूरा होगा बापू का सपना

जब आत्मनिर्भर होंगे गांव-शहर, पूरा होगा बापू का सपना

गांधीजी को नमन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। महात्मा गांधी ‘आत्मनिर्भरता’ को बहुत जरूरी मानते थे। उन्होंने व्यक्ति, गांव, शहर और देश की आत्मनिर्भरता को लेकर स्वदेशी एवं स्वावलंबन का मंत्र दिया। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति स्वाभिमान से जीवन जी सकता है। वहीं, आत्मनिर्भर देश अपनी स्वतंत्रता और गौरव की भलीभांति रक्षा कर सकता है।

कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के हर नागरिक, गांव और शहर को सशक्त बनाने के लिए अपने विभिन्न संबोधनों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ का उल्लेख करते हैं। वास्तव में आत्मनिर्भरता की अवधारणा देश के सर्वांगीण विकास पर आधारित है, जिसमें शिक्षा, कृषि, चिकित्सा, रक्षा, उद्योग सहित अनेक क्षेत्र और सेवाएं सम्मिलित हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए आत्मनिर्भरता के संदेश को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। हाल में, 27 सितंबर को प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। … पूज्य बापू का जो आर्थिक चिंतन था, अगर उस स्पिरिट को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती।’

‘गांधीजी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो।’

इसी प्रकार, 31 मई को प्रसारित कड़ी में ‘वॉकल फॉर लोकल’ की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे भी गांवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं। ये फैसले इन स्थितियों के समाधान के लिए हैं, आत्मनिर्भर भारत के लिए हैं। अगर हमारे गांव आत्मनिर्भर होते, हमारे कस्बे, हमारे जिले, हमारे राज्य आत्मनिर्भर होते, तो अनेक समस्याओं ने वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने खड़ी हैं।’

‘लेकिन अंधेरे से रोशनी की ओर बढ़ना मानव स्वभाव है। तमाम चुनौतियों के बीच मुझे खुशी है कि आत्मनिर्भर भारत पर आज देश में व्यापक मंथन शुरू हुआ है। लोगों ने अब इसे अपना अभियान बनाना शुरू किया है। इस मिशन का नेतृत्व देशवासी अपने हाथ में ले रहे हैं। बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है कि उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी एक पूरी लिस्ट बना ली है। ये लोग अब इन लोकल प्रॉडक्ट्स को ही खरीद रहे हैं और वॉकल फॉर लोकल को प्रमोट भी कर रहे हैं।’

रक्षा क्षेत्र में भी भारत लगातार आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। हमारे सुरक्षा बल देश की सीमाओं की सुरक्षा में मुस्तैदी से तैनात हैं। प्रधानमंत्री ने 28 जून को ‘मन की बात’ में कहा, ‘आज रक्षा क्षेत्र में, तकनीक के क्षेत्र में, भारत आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहा है। भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है।’ ‘.. हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।’

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