माघ पूर्णिमा से लेकर तमिल भाषा तक, ‘मन की बात’ में ये बोले मोदी

माघ पूर्णिमा से लेकर तमिल भाषा तक, ‘मन की बात’ में ये बोले मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है। माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक, सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती। ये नाम है संत रविदासजी का। माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदासजी की जयंती भी होती है।

रविदासजी कहते थे- करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस। कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास।।

अर्थात् हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संत रविदासजी ने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही। उन्होंने इन विकृतियों को समाज के सामने रखा। उसे सुधारने की राह दिखाई। तभी तो मीराजी ने कहा था-
“गुरु मिलिया रैदास, दीन्हीं ज्ञान की गुटकी।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने सपनों के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहें, ये बिलकुल ठीक नहीं है। जो जैसा है वो वैसा चलता रहे, रविदासजी कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे। आज हम देखते हैं कि देश का युवा भी इस सोच के पक्ष में बिलकुल नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ भी है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सीवी रमनजी द्वारा की गई ‘रमन प्रभाव’ खोज को समर्पित है। केरल से योगेश्वरनजी ने नमो ऐप पर लिखा है कि रमन प्रभाव की खोज ने पूरे विज्ञान की दिशा को बदल दिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग फिजिक्स-केमिस्ट्री या फिर लैब्स तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन विज्ञान का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में विज्ञान की शक्ति का बहुत योगदान है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डीजी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें एक बार विटामिन-डी की कमी होने वाली बीमारियां और इसके खतरे के बारे में बताया। रेड्डीजी किसान हैं, उन्होंने मेहनत की और गेहूं-चावल की ऐसी प्रजातियां विकसित कीं, जो खास तौर पर विटामिन-डी से युक्त है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आसमान में हम अपने देश में बने फाइटर प्लेन तेजस को कलाबाजियां खाते देखते हैं, तब भारत में बने टैंक, मिसाइलें हमारा गौरव बढ़ाते हैं। जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया वैक्सीन को पहुंचाते हुए देखते हैं तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं। सहजन को कुछ लोग सर्गवा बोलते हैं, इसे मोंगिया या ड्रम स्टिक भी कहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोलकाता के रंजनजी ने अपने पत्र में बहुत ही दिलचस्प और बुनियादी सवाल पूछा है और साथ ही, बेहतरीन तरीके से उसका जवाब भी देने की कोशिश की है। आत्मनिर्भर भारत की पहली शर्त होती है- अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाईं वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आप हमारे मंदिरों को देखेंगे तो पाएंगे कि हर मंदिर के पास तालाब होता है। हजो में हयाग्रीव मधेब मंदिर, सोनितपुर के नागशंकर मंदिर और गुवाहाटी में उग्रतारा मंदिर के पास इस प्रकार के तालाब हैं। इनका उपयोग विलुप्त होते कछुओं की प्रजातियों को बचाने के लिए किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काजिरंगा राष्ट्रीय उद्यान कुछ समय से वार्षिक जलभराव गणना करती आ रही है। इस गणना से जल पक्षियों की संख्या का पता चलता है और उनके पसंदीदा आवास की जानकारी मिलती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ओडिशा में अराखुड़ा में एक सज्जन हैं- नायक सर। वैसे तो इनका नाम सिलू नायक है पर सब उन्हें नायक सर ही बुलाते हैं। दरअसल वे मैन ऑन ए मिशन हैं। वे उन युवाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित करते हैं जो सेना में शामिल होना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डीजी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि – आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई? अपर्णाजी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा – तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया। यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनियाभर में लोकप्रिय है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले कुछ महीने आप सब के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। अधिकतर युवा साथियों की परीक्षाएं होंगी। आप सबको वॉरियर (योद्धा) बनना है वरियर (चिंता करने वाला) नहीं। हंसते हुए परीक्षा देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम ‘परीक्षा पे चर्चा’ करेंगे। मार्च में होने वाली ‘परीक्षा पे चर्चा’ से पहले मेरा आप सभी एक्जाम वॉरियर्स से, माता—पिता से और शिक्षकों से निवेदन है कि अपने अनुभव, टिप्स ज़रूर शेयर करें। आप माईजीओवी और नरेंद्र मोदी ऐप पर शेयर कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कोरोना के समय में मैंने कुछ समय निकालकर एक्जाम वॉरियर किताब में भी कई नए मंत्र जोड़ दिए हैं। इन मंत्रों से जुड़ी ढेर सारी इंट्रेस्टिंग एक्टीविटीज नरेंद्र मोदी ऐप पर दी हुई है जो आपके अंदर के एक्जाम वॉरियर को जाग्रत करने में मदद करेंगी।

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