नई दिल्ली/दक्षिण भारत। आतंकवाद और विरोधियों की हत्या के लिए कुख्यात पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जाल का लगातार पर्दाफाश हो रहा है। भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां उन लोगों पर लगातार शिकंजा कस रही हैं जो इसके इशारे पर देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं।
इसी सिलसिले में सेना के एक जवान सहित दो लोगों को गोपनीयता कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इन्होंने आईएसआई को ऐसे दस्तावेज मुहैया कराए जो देश की सुरक्षा की लिहाज से अत्यंत संवेदनशील हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, सेना मुख्यालय ने इस बात की पुष्टि की है कि ये दस्तावेज गोपनीय थे।
बता दें कि इससे पहले एक सब्जी विक्रेता को सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा था। जानकारी के अनुसार, हबीब खान (34) पोकरण स्थित सेना के आधार शिविर में सब्जी आपूर्ति किया करता था। उसे दिल्ली पुलिस ने सेना के एक जवान से संवेदशील दस्तावेज हासिल कर आईएसआई तक पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
बताया गया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को यह जानकारी मिली थी कि देश के रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज पाकिस्तान पहुंचाए जा रहे हैं जिसके लिए जासूसी नेटवर्क का इस्तेमाल हो रहा है।
मामले का खुलासा करते हुए पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीर रंजन ने बताया कि हबीबुर्रहमान को लेकर संलिप्तता की जानकारी मिली थी। इसके आधार पर टीम ने छापेमारी की और उचित सत्यापन के बाद उसे पोकरण से गिरफ्तार कर लिया।
अधिकारी ने बताया कि आरोपी के कब्जे से कुछ गोपनीय दस्तावेज मिले हैं। उसके खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज हुआ है।
अधिकारियों को मामले की जांच करते समय मालूम हुआ कि परमजीत नामक सेना का जवान भी इसमें लिप्त रहा है। पहले उसकी ड्यूटी पोकरण में थी। उस दौरान वह हबीबुर्रहमान से मिला और गोपनीय दस्तावेज साझा करने लगा। अभी परमजीत आगरा कैंट में बतौर क्लर्क तैनात है।
हबीबुर्रहमान के बारे में पता चला कि उसके रिश्तेदार पाकिस्तानी हैं। वह उनसे मिलने इस पड़ोसी देश गया तो उसकी मुलाकात ऐसे लोगों से कराई गई जो जासूसी नेटवर्क चलाते हैं। उनसे मिलकर हबीबुर्रहमान गोपनीय दस्तावेज पहुंचाने लगा। इस काम के लिए उसे हवाला नेटवर्क से पैसा भेजा जाता था। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के अनुसार, इस कार्य में कई बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया।
बता दें कि सेना और सुरक्षा बलों में जासूसी के कई मामले चर्चा में रहे हैं। इसके लिए आईएसआई हनी ट्रैप और सोशल मीडिया का भी सहारा लेती है।