तालिबान के शिकंजे से बचकर भारत पहुंचे 168 लोगों ने मोदी का आभार जताया

तालिबान के शिकंजे से बचकर भारत पहुंचे 168 लोगों ने मोदी का आभार जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फोटो स्रोत: भाजपा ट्विटर अकाउंट।

नई दिल्ली/भाषा। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद जारी अनिश्चितताओं के बीच वहां से लाए गए लोगों ने रविवार सुबह गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचने पर राहत की सांस ली।

भारतीय वायुसेना के सी-19 सैन्य परिवहन विमान के जरिए 107 भारतीयों और 23 अफगान सिखों एवं हिंदुओं समेत कुल 168 लोगों को काबुल से दिल्ली के निकट हिंडन वायुसेना अड्डे पर लाया गया।

इस समूह में अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा और अनारकली होनरयार के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी थे। भारत को अपना ‘दूसरा घर’ बताते हुए, खालसा ने अपनी खौफनाक कहानी सुनाई, जब उनका वाहन काबुल हवाईअड्डे पर ले जाए जा रहे लोगों के काफिले से अलग हो गया।

खालसा ने हिंडन में संवाददाताओं से कहा, ‘उन्होंने (तालिबान ने) कल (शनिवार को) काबुल हवाईअड्डे पर जाते समय अफगान नागरिक होने के कारण हमें दूसरों से अलग कर दिया। हम वहां से भाग गए क्योंकि छोटे बच्चे हमारे साथ थे।’ काबुल निवासी सांसद ने उम्मीद जताई कि वह चीजें ठीक होने के बाद अपने देश वापस जाने का प्रबंध करेंगे।

खालसा ने कहा, ‘भारत हमारा दूसरा घर है। हम वहां पीढ़ियों से रह रहे हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण हो, और हम वहां वापस जाकर अपने गुरुद्वारों और मंदिरों में लोगों की सेवा कर सकें।’

अफगानिस्तान के हालात और उसके नए शासकों के बारे में खालसा ने कहा, ‘तालिबान एक समूह नहीं है…10-12 धड़े हैं। यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन तालिबानी है और कौन नहीं।’

अफगानिस्तान की संसद के उच्च सदन की सदस्य होनरयार ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘मैं भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय और भारतीय वायु सेना को काबुल से हमें लाने और हमारी जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा करती हूं।’

अधिकारियों ने कहा कि हिंडन और राष्ट्रीय राजधानी में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने वाले सभी लोगों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है।

अफगान नागरिक अलादाद कुरैशी की पत्नी कश्मीर की हैं। हिंडन एयरबेस पर संवाददाताओं के साथ बातचीत में कुरैशी ने कहा, ‘मेरी दो बेटियां हैं। हमें बचाने के लिए हम भारत सरकार, मोदीजी, विदेश मंत्रालय और वायु सेना को धन्यवाद देते हैं।’

आजीविका की तलाश में छह महीने पहले अफगानिस्तान गए माणिक मंडल ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘काबुल में हमें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारी सरकार ने हमें बचा लिया।’

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