लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दलित वोटों के बाद अब पिछ़डों, खासकर मुलायम सिंह यादव के कट्टर समर्थक माने जाने वाले ’’यादव’’ वोटों पर अब पैनी नजर है। राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को लखनऊ में इसी वजह से पार्टी के बूथ लेबल कार्यकर्ता सोनू यादव के यहां अपना दोपहर का भोजन रखवाकर एक ब़डा संदेश देने की कोशिश की है। तीन दिन के दौरे पर लखनऊ आए शाह ने दूसरे दिन सोनू यादव के यहां खाना खाने का निश्चय किया। सोनू यादव के यहां भोजन करने का खूब प्रचार भी करवाया गया।उत्तर प्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या काफी है। ४४ फीसदी पिछ़डे मतदाताओं में से करीब ९ फीसदी यादव हैं। लोधी मतदाता ७ प्रतिशत, जाट १.७ फीसदी, कुशवाहा और कुर्मी ४-४ प्रतिशत हैं। पिछ़डे वर्ग के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या यादव की है। इस पर काफी दिनों से भाजपा की नजर है और शायद इसीलिए वर्ष २०१७ के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी।केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा ने पिछ़डे वर्ग के कुशवाहा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पाई थी। स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा में शामिल होने के बाद इस जाति के मतदाताओं ने भाजपा से अपने को और जो़डा। पिछ़डों में लोधी जाति के करीब ७ फीसदी मतदाता हैं। राजस्थान के राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वजह से इस जाति के ज्यादातर मतदाता भाजपा समर्थक माने जाते हैं। सिंह लोधी जाति के हैं।काफी दिनों से भाजपा की नजर मुलायम सिंह यादव के पारम्परिक वोट बैंक माने जाने वाले यादव मतदाताओं पर थी। सोनू यादव के यहां भोजन कर शाह ने इस ’’मार्शल कौम’’ को भाजपा की ओर खींचने का प्रयास किया है। मुलायम सिंह यादव ने अपनी बिरादरी के किसी नेता को राज्य में मजबूत नहीं होने दिया। मित्रसेन यादव, रामसुमेर यादव, बलराम यादव अपनी जातियों के ब़डे नेताओं में गिने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने धीरे-धीरे अपनी जाति का वटवृक्ष बनकर सभी को बौना कर दिया।आजमगढ में रमाकांत यादव कई बार सांसद चुने गए। उनकी राजनीतिक कद काठी बढती जा रही थी। बिरादरी में ब़डे नेता के रुप में उभर रहे थे। मुलायम ने वर्ष २०१४ में मैनपुरी छो़ड आजमगढ से लोकसभा का चुनाव ल़डा और रमाकांत को हराया। हार की वजह से लगातार आगे बढ रहे रमाकांत की तेजी में ब्रेक लगा। भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव ल़डे रमाकांत यादव को अभी भी इसकी टीस है।अपनी पार्टी के वोट बैंक में लगातार इजाफा करने में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले भाजपा के पारम्परिक वोटों में दलितों को जो़डना शुरु किया। दलितों के आदर्श बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर से जु़डे पांच स्थानों को ’’पंचतीर्थ स्थल’’ घोषित कर उनका विकास करवाया। संत रविदास की जन्मस्थली वाराणसी में जाकर कई घंटे गुजारे। संत रविदास की जन्मस्थली पर जाने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे। इसके बाद दलित वर्ग से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनवाया। कोविंद दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं।दलितों को भाजपा से जो़डने की मोदी की कवायद को बसपा अध्यक्ष मायावती ने काफी आलोचना की है। उन्होंने मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ कई बार तल्ख टिप्पणियां की हैं। शनिवार को ही समाजवादी पार्टी (सपा) के दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा ) के एक विधानपरिषद के इस्तीफे पर सुमायावती के साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखे बयान दिए। यादव ने भाजपा पर उनके लोगों को तो़डने का आरोप लगाते हुए इसे राजनीतिक भ्रष्टाचार तक कह डाला।
मायावती के बाद भाजपा की नजर अब मुलायम के वोट बैंक पर
मायावती के बाद भाजपा की नजर अब मुलायम के वोट बैंक पर