पुणे/भाषा। पुणे पुलिस ने माओवादियों से संपर्क रखने के संदेह में विभिन्न राज्यों में कुछ लोगों के घरों सहित विभिन्न ठिकानों पर छापा मारा और दो वामपंथी कार्यकर्ताओं सहित पांच लोगों माओवादी विचारधारा के वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, अरुण फेरिएरा, गौतम नवलखा तथा वी गोंजाल्वेज को मंगलवार को गिरफ्तार किया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे में एल्गार परिषद नाम के एक कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा की जांच के तहत ये छापे मारे गए हैं। अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद में वामपंथी कार्यकर्ता और कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वेरनन गोन्जाल्विस और अरूण फरेरा, फरीदाबाद और छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में रहने वाले सिविल लिबर्टीज के कार्यकर्ता गौतम नवलखा के घरों की तलाशी ली गई।
उन्होंने बताया कि तलाशी के बाद राव और भारद्वाज को गिरफ्तार कर लिया गया। वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार पांच लोगों में एक के घर पुलिस की तलाशी के दौरान कथित तौर पर जब्त एक पत्र में राव के नाम का जिक्र था।
विश्रामबाग थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी। इसके बाद माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में जून में पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। जून में छापा मारे जाने के बाद दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले को मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार किया गया, जबकि वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राऊत और शोमा सेन को नागपुर से तथा रोना विल्सन को दिल्ली में मुनिरका स्थित उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस अधिकारी ने बताया, एल्गार कार्यक्रम के मामले में हमारी छानबीन के दौरान प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों के बारे में कुछ सबूत मिले थे जिसके बाद पुलिस ने छत्तीसगढ़, मुंबई और हैदराबाद में छापे मारे। अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए पांचों लोगों और उनके साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के घरों में तलाशी ली गई।
पुलिस ने बताया, हम इन लोगों के वित्तीय लेन-देन, संवाद के उनके तरीके की भी छानबीन कर रहे हैं और तकनीकी साक्ष्य भी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। पुणे पुलिस के निवर्तमान संयुक्त आयुक्त रवींद्र कदम ने दो अगस्त को कहा था कि भीमा कोरेगांव हिंसा से माओवादियों के तार जुड़े होने का पता नहीं चला है। हालांकि, उन्होंने कहा था कि पुणे में एल्गार परिषद के आयोजन में फासीवाद विरोधी मोर्चा की भूमिका थी। मौजूदा सरकार की नीतियों के विरोध में माओवादियों ने इस संगठन की स्थापना की थी।
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