मुंबई/दक्षिण भारत। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया दी है। भारतीय सेना में ट्रक चालक रहे अन्ना ने कहा है कि अब भी उनमें ट्रक चलाने की ताकत है। यदि जरूरत पड़ी तो वे सैनिकों के लिए दोबारा ऐसा कर सकते हैं। अन्ना हजारे अनशन के बाद तबीयत बिगड़ने से अस्पताल में भर्ती हैं। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ जवानों की शहादत पर दुख प्रकट करते हुए उन्होंने कहा है कि वे अब भी सशस्त्र बलों के लिए योगदान देने को तैयार हैं।
अन्ना हजारे ने कहा कि बुजुर्ग होने के कारण मैं बंदूक नहीं उठा सकता लेकिन अगर जरूरत हुई तो देश के लिए लड़ाई करने वाले अपने सैनिकों को पहुंचाने के लिए निश्चित रूप से वाहन चला सकता हूं। बता दें कि अन्ना हजारे साल 1960 में बतौर ट्रक चालक भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उस दौरान उन्होंने वाहन के जरिए सेना के लिए जरूरी साजो-सामान पहुंचाया। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध में भी उन्होंने सेवाएं दी थीं। उस समय उन्हें खेमकरन सेक्टर में तैनात किया गया था।
अन्ना के माथे पर गोली के छर्रे का एक निशान भी है। उस युद्ध में अन्ना के कई साथी शहीद हो गए थे। अपने अनुभव साझा करते हुए एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि उस घटना के बाद उन्होंने सोचा कि उनकी ज़िंदगी का जरूर कोई मकसद बाकी है। अन्ना हजारे ने उरी हमले के बाद कहा था कि यदि पाकिस्तान पड़ोसी धर्म ठीक से निभाने के बजाय दुश्मनी पर उतरता है, तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए।