श्रीनगर/दक्षिण भारत। संसद पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को देश के कानून ने सजा दी। वहीं, उसके बेटे गालिब गुरु (18) का कहना है कि वह भारतीय होने पर गर्व महसूस करता है और भविष्य में डॉक्टर बनना चाहता है। गालिब ने काफी अच्छे अंकों से परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं। एक साक्षात्कार में उसने बताया कि हमने अतीत में हुईं गलतियों से बहुत कुछ सीखा है। मुझे मां ने आतंकवाद की राह पर जाने से बचाया।
यही नहीं, गालिब ने भारतीय सुरक्षाबलों के लिए कहा है कि उनके परिवार को कभी परेशान नहीं किया गया। साथ ही उसे अच्छी राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। गालिब ने कहा कि पिता को फांसी होने के बाद उसे ‘बदला’ लेने के लिए उकसाया गया, लेकिन मां ने ऐसे रास्ते पर जाने से बचा लिया। गालिब ने अपना आधार कार्ड दिखाते हुए कहा कि उसने उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया है।
इन दिनों गालिब मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसे आशा है कि परीक्षा में सफलता मिल जाएगी। इसके अलावा वह एक विदेशी विश्वविद्यालय में भी मेडिकल की पढ़ाई के विकल्प पर विचार कर रहा है, जहां उसे छात्रवृत्ति मिल सकती है। इसके लिए गालिब को पासपोर्ट की जरूरत है।
गालिब ने बताया कि उसके पिता का सपना भी डॉक्टर बनना था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वह इस ख्वाब को पूरा करना चाहता है। इसके लिए परिजन भी उसे प्रोत्साहित करते हैं। उसके नाना गुलाम मुहम्मद ने पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि वह डॉक्टर बनने में जरूर कामयाब होगा। गालिब गुलशनाबाद की पहाड़ियों पर नाना गुलाम मुहम्मद और मां तबस्सुम के साथ रहता है।
गालिब के घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान तैनात हैं। हालांकि गांव का माहौल शांत है। जब आतंकी बुरहान वानी मारा गया, तब भी यहां माहौल शांत रहा। गालिब ने बताया कि सेना के जवानों ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहन ही दिया। अब गालिब को पासपोर्ट मिलने का इंतजार है। उसने कहा कि मुझे भारतीय होने पर गर्व है। मुझे पासपोर्ट मिलेगा तो और गर्व होगा।
गौरतलब है कि देश की संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को आतंकी हमला हुआ था, जिसके साजिशकर्ता अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई। उसके बाद कश्मीर घाटी में आतंकियों ने अफजल के नाम से आत्मघाती दस्ता बनाया। पुलवामा सहित कई आतंकी हमलों से इस संगठन के तार जुड़ते रहे हैं।