गुजरात में शिक्षकों को सौंपी गई प्रवासी मजदूरों का पता लगाने की जिम्मेदारी

गुजरात में शिक्षकों को सौंपी गई प्रवासी मजदूरों का पता लगाने की जिम्मेदारी

सांकेतिक चित्र

अहमदाबाद/भाषा। गुजरात सरकार ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर लॉकडाउन के इस अभूतपूर्व दौर में प्रवासी कामगारों का पता लगाने और उन्हें निशुल्क राशन मुहैया कराने का काम प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को सौंपा है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गांवों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के लिए बुधवार को बुलाया गया ताकि वहां प्रवासी कामगारों का पता लगाया जा सके तथा संबंधित अधिकारियों को उनकी जानकारी दी जा सके।

शिक्षकों का एक समूह बुधवार को यहां अहमदाबाद-राजकोट राजमार्ग के समीप चाचरावादी वासना गांव के हर घर में गया। गांव का सर्वेक्षण करने के बाद शिक्षकों ने पाया कि देश के विभिन्न हिस्सों से वहां प्रवासी मजदूरों के 14 परिवार रह रहे हैं तथा उनके पास गुजरात का राशन कार्ड नहीं है।

चाचरावादी वासना में सरकारी प्राथमिक स्कूल के एक शिक्षक ने कहा, ‘हमने जिन गरीब परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है, उनका पता लगाने के लिए हर घर में सर्वेक्षण किया। गांव में ऐसे 14 परिवारों की पहचान की गई और हमने उच्च अधिकारियों को सूचना दे दी है।’

गुजरात सरकार ने ऐलान किया है कि वह उन गरीब परिवारों को एक महीने का मुफ्त राशन देगी जिनकी आमदनी बंद के कारण प्रभावित हुई है। प्रति व्यक्ति दिए जाने वाले राशन में 3.5 किलोग्राम गेहूं, 1.5 किग्रा चावल और एक-एक किलो दालें, चीनी और नमक शामिल होगा।

मुख्यमंत्री के सचिव अश्विनी कुमार ने कहा कि 40 करोड़ रुपए की निधि आवंटित की गई है जिसके जरिए प्रवासी मजदूरों को भोजन एवं आवास मुहैया कराया जाएगा ताकि वे राज्य को छोड़कर न जाएं।

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