पुणे/भाषा। महाराष्ट्र के पुणे स्थित सरकारी ससून जनरल अस्पताल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से गंभीर हालत में भर्ती मरीजों का इलाज प्लाज्मा पद्धति से करने की अनुमति दे दी है। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इस पद्धति में कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्ति के प्लाज़्मा को बीमार व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाता है क्योंकि ठीक हो चुके व्यक्ति के रक्त में संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती हैं।
संचारी लोग निवारण एवं नियंत्रण प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष डॉ. सुभाष सालुंखे ने बताया, ‘हमे प्लाज्मा पद्धति से इलाज करने के लिए जरूरी आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है और दो-तीन दिन में हम आगे का कदम उठाएंगे। कुल 35 संभावित प्लाज्मा दानकर्ताओं की सूची बनाई गई है और उनसे संपर्क किया जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘इन लोगों में निश्चित रूप से वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं और अब देखना है कि कितने प्लाज्मा दान करते हैं। प्लाज्मा लेने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इन लोगों की दोबारा जांच की जाएगी।’
सालुंखे ने कहा, ‘आईसीएमआर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि यह पद्धति कोविड-19 का इलाज नहीं है। हम इस पद्धति का इस्तेमाल गंभीर मरीजों के इलाज के आखिरी विकल्प के रूप में कर रहे हैं।’ ठीक हो चुके एक मरीज ने कहा कि अगर अस्पताल प्रशासन द्वारा जरूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है तो वह प्लाज्मा दान करने को तैयार है।
उल्लेखनीय है कि पुणे की कंपनी एबीआईएल ने हाल में ससून अस्पताल को कोविड-19 से ठीक हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा अलग करने की मशीन खरीदने के लिए 28 लाख रुपए दान दिए हैं।