विद्यार्थियों में ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उत्साह, पहाड़ पर चढ़कर करते हैं पढ़ाई
भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। कोरोना महामारी ने मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस दौरान स्कूल बंद होने से दुनियाभर में 1.5 बिलियन से अधिक बच्चों और युवाओं का भविष्य भी प्रभावित हुआ है जिनकी पढ़ाई कोरोना महामारी से उपजे हालात की चपेट में आ गई। यह इस पीढ़ी पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
भारत में महामारी के प्रसार के दौरान, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, भुवनेश्वर ने अपने विद्यार्थियों को सुरक्षित रखने के लिए उपाय किए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया कि लंबे समय तक लॉकडाउन की स्थिति रहने के कारण उन्हें कम से कम शैक्षणिक नुकसान हो।
संस्थान ने दी गई जानकारी में बताया कि कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) एशिया में सबसे बड़ा आवासीय आदिवासी संस्थान है जो ओडिशा में केजी से पीजी तक 30,000 आदिवासी विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा आवास, भोजन स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है।
यह डॉ. अच्युत सामंत द्वारा स्थापित समग्र शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की एक पहल है। देशव्यापी लॉकडाउन से कुछ दिन पहले सभी 30,000 विद्यार्थियों को उनके घर भेज दिया गया।
प्रो. सामंत हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं। केआईएसएस ने शैक्षणिक वर्ष के शुरू में 25 बसों से सभी विद्यार्थियों के दरवाजे तक पाठ्य पुस्तकें, अध्ययन सामग्री, सैनिटाइजर, मास्क, साबुन और सूखी खाद्य सामग्री की व्यवस्था की।
बताया गया कि केआईएसएस हर महीने हर विद्यार्थी के घर तक सूखी खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी सामान भेज रहा है। केआईएसएस उन संस्थाओं में से है जिसने ऑनलाइन कक्षाओं की पहल की और सभी स्तरों के विद्यार्थियों के लिए पूरी तरह से शैक्षणिक कार्यक्रम बनाए रखा।
केआईएसएस ने कलिंगा टीवी के जरिए हर रोज कक्षाओं के लिए अध्ययन सामग्री का प्रसारण शुरू कर दिया। वॉट्सऐप ग्रुप्स से आवश्यक अध्ययन सामग्री भी भेजी जाती है।
केआईएसएस फैकल्टीज और स्टाफ लगातार विद्यार्थियों के संपर्क में रहते हैं। चूंकि ऐसे समय में खासतौर से लड़कियों पर सामाजिक, पारिवारिक दबाव अधिक होता है और वे पढ़ाई छोड़ सकती हैं।
इसलिए केआईएसएस ने विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ जुड़ने और इस अवधि में उनके मनोबल को उच्च बनाए रखने के लिए विभिन्न तरह की पहल शुरू की हैं। हर महीने केआईएसएस किशोर आयु की लड़कियों के लिए चावल, चीनी, दाल, बिस्किट, साबुन और सैनिटरी नैपकिन भेज रहा है।
विद्यार्थियों में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर गहरा उत्साह है। मिसाल के तौर पर, पोस्ट ग्रेजुएशन छात्र देवेंद्र रायगढ़ जिले में स्थित अपने गांव के पहाड़ से ऑनलाइन क्लास ले रहा है, जो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से 400 किलोमीटर दूर है।