जयपुर/भाषा। साइबर ठगी यानी ऑनलाइन ठगी राजस्थान की पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। कभी ओटीपी लेकर लोगों के खातों से पैसे उड़ाने वाले और कभी पेमेंट एप से चूना लगाने वाले इन ठगों ने अब सेना पर भरोसे की आड़ लेना शुरू कर दिया है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ जहां इसके लिए अज्ञानता व पुलिस के सीमित संसाधनों को जिम्मेदार मानते हैं, वहीं सांसद रामचरण बोहरा का कहना है कि राज्य सरकार को ऐसे ठगों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
विशेषज्ञों के अनुसार, बड़ी चिंता की बात यह है कि अब ये ठग सेना पर लोगों के भरोसे को जरिया बना रहे हैं। हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें ठग खुद को सेना का जवान या कर्मचारी बताकर ई-कॉमर्स वेबसाइट या सोशल मीडिया पर अपना सामान सस्ते में बेचने का विज्ञापन देते हैं। ये लोगों से सिक्योरिटी, बीमा और जीएसटी के नाम पर पैसा ऐंठ लेते हैं।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ मुकेश चौधरी कहते हैं, राजस्थान में संगठित साइबर क्राइम पहले नहीं होते थे लेकिन अब शुरू हो गए हैं। अलवर, भरतपुर वाला बेल्ट इस तरह के अपराधों का गढ़ बन गया है।
ऐसी ठगी के तरीके के बारे में उन्होंने कहा, ठग किसी भी सैन्यकर्मी के आईडी से ई-कॉमर्स साइट पर विज्ञापन देते हैं कि यह चीज बेचनी है और इच्छुक ग्राहक से अग्रिम भुगतान के तौर पर 40 या 50 प्रतिशत पैसा ले लेते हैं। सामने वाला सोचता है कि सैन्यकर्मी है तो वह अग्रिम भुगतान दे कर ठगा जाता है।
उल्लेखनीय है कि एटीएम से जुड़ी जानकारी व ओटीपी आदि हासिल कर लोगों के बैंक खातों से पैसे उड़ाना प्रदेश में आम हो गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ठगों ने बीते डेढ़ साल में लोगों के खातों से 36 करोड़ रुपए निकाल लिए। हर रोज ऐसे एक-दो मामले सामने आ रहे हैं।
जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने इस मामले को इस सप्ताह लोकसभा में भी उठाया। बोहरा ने भाषा से कहा, इस तरह की ठगी चिंताजनक है। राज्य सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और विशेष अभियान चलाना चाहिए ताकि भोलेभाले या पढे़-लिखे लोग भी इस ठगी के शिकार न हों।
राजस्थान पुलिस के एक आला अधिकारी ने कहा, ऑनलाइन ठगी कई तरह से हो रही है। एक तरीका तो एटीएम का ब्यौरा व ओटीपी हासिल कर खाते से पैसे निकालने का है। दूसरा तरीका यह है कि विभिन्न पेमेंट एप के जरिए ठगी होती है। इसके अलावा ई-कामर्स वेबसाइट के जरिए सामान बेचने के नाम पर ठगी की जाती है। पुलिस अपने स्तर पर काम करती है लेकिन लोगों को जागरूक होने की भी जरूरत है।
साइबर विशेषज्ञ भी मानते हैं कि ऐसी ठगी से केवल पुलिस के भरोसे नहीं निपटा जा सकता बल्कि लोगों की जागरूकता भी बहुत जरूरी है।
साइबर क्राइम अवेयरनेस सोसायटी के संस्थापक मिलिंद अग्रवाल कहते हैं कि ऐसी ठगी या अपराध की बड़ी वजह अज्ञानता या जागरूकता का अभाव है। दस प्रतिशत लोग भी साइबर ठगी और अपराधों के बारे में नहीं जानते। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को बताया जाए कि वे ओटीपी वगैरह शेयर नहीं करें, सोशल मीडिया पर अनजान लोगों को न जोड़ें। पेमेंट वाले मोबाइल एप के इस्तेमाल में विशेष सावधानी बरतें।