जयपुर/एजेन्सी। राजस्थान की राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों के लिए उपयोग में लिया जाने वाला लाखों लीटर पानी अब उनके उपयोग में आने के बाद व्यर्थ बहाने के बजाय रिसाइकिल किया जाएगा। इस पानी को रिसाइकिल करने के बाद दोबारा से वन्यजीवों के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इससे वन्यजीवों को पानी की किल्लत नहीं महसूस होगी। वन विभाग ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इसके लिए खास वॉटर रिसाइकिल सिस्टम इंस्टॉल किया है।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इन दिनों दरियाई घोड़ा पर्यटकों की खास पसंद बना हुआ है। इस जोड़े को दिल्ली के जू से यहां शिफ्ट किया गया है। दरियाई घोड़ा अफ्रीकी महाद्वीप का वन्यजीव है। इस जीव को भरपूर पानी की जरूरत होती है। राजस्थानी माहौल में इसे गर्मी के दिनों में कूल कूल रखने के लिए दो लाख लीटर का वॉटर पॉन्ड बनाया गया है। दरियाई घोड़े का ये जोड़ा काफी गंदगी फैलाता है और हर हफ्ते दो लाख लीटर पानी को दूषित कर देता है, लेकिन राजस्थान के लिए पानी अनमोल है। इस हालात को देखते हुए वन विभाग ने वॉटर रिसाइकिल सिस्टम लगाया है ताकि हर हफ्ते दरियाई घोड़े के तालाब के पानी को व्यर्थ बहाने के बजाय रिसाइकिल किया जाए। इसके साथ ही घड़ियाल के ताल के लिए भी किया जा रहा है, ताकि इन जलीय जीवों को हर सप्ताह साफ-सुथरा पानी भी मिल सके और उनके लिए उपयोग में लाया गया पानी बर्बाद भी नहीं हो। ताल में एक लाख लीटर और घड़ियाल ताल में भी हर सप्ताह एक लाख लीटर पानी रिसाइकिल किया जाएगा। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वाटर रिसाइकिल के ज़रिए पानी को बर्बादी को बचाने के प्रयास हैं। बायोलॉजिकल पार्क प्रशासन इससे पहले ऐसे जीवों को यहां लाने से बचता था, जिनके लिए पानी की ज्यादा ज़रूरत होती थी। अब वॉटर रिसाइकिल सिस्टम के जरिए पानी की बचत भी होगी और वन्यजीवों को कम या गंदे पानी में भी गुजारा नहीं करना होगा। अभी वन विभाग का इसके ज़रिए 6 लाख लीटर पानी प्रति सप्ताह रिसाइकिल करने का प्लान है।
नाहरगढ़ पार्क में अब वन्यजीवों के लिए नहीं होगी पानी की कमी
नाहरगढ़ पार्क में अब वन्यजीवों के लिए नहीं होगी पानी की कमी