श्रीगंगानगर/भाषा। राजस्थान का ‘धान का कटोरा’ कहे जाने वाले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों के खेतों में इन दिनों गेहूं, सरसों, चना और जौ की फसलें लहलहा रही हैं। इलाके में इस बार रबी (हाड़ी) में कुल मिलाकर 40 लाख मीट्रिक टन से अधिक की पैदावार की उम्मीद है। यह रिकार्ड तोड़ आंकड़ा है जिसे कोरोना वायरस और लॉकडाउन के हालात से परेशान लोगों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।
कृषि विभाग के अग्रिम अनुमानों के अनुसार इन दोनों जिलों में इस बार कुल मिलाकर 39.96 लाख मीट्रिक टन गेहूं, सरसों, जौ, चने व तारामीरा का उत्पादन होगा। पिछले साल रबी में आंकड़ा 36.18 लाख मीट्रिक टन का था। इलाके में हाड़ी का यह अब तक का सबसे बड़ा उत्पादन होगा जहां सरसों और चने के बाद गेहूं की कटाई का काम जोरशोर से चल रहा है।
हनुमानगढ़ में कृषि उपनिदेशक दानाराम गोदारा कहते हैं कि हमारे अग्रिम अनुमान तो बुवाई क्षेत्र पर हैं लेकिन वास्तविक उत्पादन तो इससे भी अधिक रहेगा। इसमें कोई संशय या दो राय नहीं। इसकी कई वजह हैं। मौसम ने साथ दिया तो सिंचाई पानी की उपलब्धता भी अच्छी रही। गोदारा के अनुसार, सर्दी लंबी चलने के बाद फसलों का पकाव बहुत शानदार रहा और इस बार उत्पादन रिकार्ड तोड़ रहेगा, इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं।
घड़साना के किसान जसकरण सिंह कहते हैं, ‘इस बार बारिशें अच्छी हुईं, नहरें भी खूब चलीं और लंबी सर्दियों ने सोने पर सुहागे का काम किया। फसलें अच्छे से फली फूलीं। चाहे वह सरसों हो या गेहूं।’
आकंड़ों के लिहाज से श्रीगंगानगर जिले की बात की जाए तो रबी 2019-20 में 11,92,500 टन गेहूं, 6,00,000 टन सरसों, 1,76,000 टन चना और 2,64,000 टन जौ होना अनुमानित है। ये आंकड़ा पिछले साल रबी में क्रमश: 10,93,751 टन, 5,53,173 टन, 1,53,557 टन और 1,93,310 टन रहा था।
वहीं हनुमानगढ़ जिले की बात की जाए तो रबी 2019-20 में 12,03,936 टन गेहूं, 2,51,480 टन सरसों, 2,26,104 टन चना और 69,966 टन जौ होना अनुमानित है जो पिछले साल रबी में क्रमश: 11,76,571 टन, 2,47,846 टन, 1,63,026 टन और 35,687 टन रहा था।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह पूर्वानुमान चार पांच महीने पहले के बुवाई क्षेत्र पर आधारित हैं। वास्तविक उत्पादन इससे भी कहीं अधिक होगा। उल्लेखनीय है कि श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले को राजस्थान का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। दोमट सहित कई प्रकार की उपजाऊ मिट्टी से भरा इन जिलों का इलाका भाखड़ा, गंग और इंदिरा नहर के साथ-साथ घग्गर नदी के पानी से भी सिंचित होता है। पहले सारा इलाका एक ही था, 1994 में हनुमानगढ़ अलग जिला बना।