झुंझुनूं/दक्षिण भारत। राजस्थान में एक हिंदू युवक ने क़ुरआन का मारवाड़ी में अनुवाद किया है। संभवत: यह क़ुरआन का मारवाड़ी में विश्व में पहला अनुवाद है जो किसी ग़ैर-मुस्लिम ने किया है। सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, राजस्थान में झुंझुनूं जिले में स्थित कोलसिया गांव के निवासी राजीव शर्मा ने क़ुरआन का मारवाड़ी में अनुवाद किया है।
अपनी एक फेसबुक पोस्ट में राजीव शर्मा ने बताया कि वे 2015 से क़ुरआन के मारवाड़ी अनुवाद पर काम कर रहे थे और इसके पूरा होने के बाद अब टाइपिंग, एडिटिंग और प्रूफ रीडिंग में व्यस्त हैं। राजीव शर्मा अपने फेसबुक अकाउंट के अलावा वॉट्सऐप और टेलीग्राम चैनल पर भी मारवाड़ी में क़ुरआन की आयतें पोस्ट करते हैं जिन्हें पाठकों द्वारा खूब पसंद किया जाता है।
उन्होंने बताया, अनुवाद की यह यात्रा बहुत सुंदर और यादगार रही है। मैंने क़ुरआन के हर शब्द को बहुत ध्यान से और बार-बार पढ़कर, समझकर उसका मूल भाव मारवाड़ी में लेने की कोशिश की। मुझे इस काम में करीब तीन साल का वक्त लगा। अब इसकी टाइपिंग और इससे संबंधित कार्य पूरा कर रहा हूं।
उन्होंने कहा, मुझे याद है जब 9/11 की घटना हुई थी तो अखबारों और चाय की दुकानों पर आतंकवाद और क़ुरआन के कथित संबंधों की चर्चा बहुत गर्म थी। उन दिनों मैं दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था और एक लाइब्रेरी भी चलाया करता था। संयोगवश मेरी लाइब्रेरी में कई धर्मग्रंथ थे, क़ुरआन भी था। वह चर्चा सुनकर मैं लाइब्रेरी में आया और क़ुरआन पढ़ने लगा।
मुझे उसमें ऐसी कई-कई आयतें मिलीं जो सदाचार, शांति और नैतिकता की बातें कहती हैं। एक आयत (5/32) में तो यह भी कहा गया था कि अगर किसी ने एक बेगुनाह की हत्या की तो उसका यह पाप पूरी मानवता की हत्या के बराबर है। यदि उसने किसी एक की जान बचाई तो यह पूरी मानवता की रक्षा करने के बराबर है।
उसके बाद मैंने क़ुरआन को पढ़ना जारी रखा। वर्षों बाद (2014 में) मेरे दिल में खयाल आया कि क़ुरआन की आयतों का अर्थ मारवाड़ी में हो तो यह और ज्यादा सुंदर और सरल होगा। ग्रामीण परिवेश के लोग इसे आसानी से पढ़ सकेंगे। इसके बाद मैं मारवाड़ी अनुवाद में जुट गया।
बता दें कि मारवाड़ी के इस खूबसूरत अनुवाद को भारत के अलावा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, सऊदी अरब, यूएई, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में लोग सोशल मीडिया पर रोज़ पढ़ते हैं। राजीव शर्मा कहते हैं कि वे क़ुरआन के इस अनुवाद को प्रकाशित कराने के लिए प्रकाशक की तलाश कर रहे हैं। वे अपनी लाइब्रेरी को डिज़िटल रूप देना चाहते हैं। इससे पहले राजीव, आचार्य महाप्रज्ञजी के उपदेशों का मारवाड़ी में अनुवाद कर चुके हैं।