लेह। प्राचीन बौद्ध मंदिर, घूमते प्रार्थना चक्र, खूबसूरत पहाड़ और हवाओं में सुकून .. कुछ ऐसा ही नजारा है भारत के सुदूर उत्तर में स्थित लद्दाख का। हर साल हजारों लोग देश-विदेश से यहां आते हैं और इसकी संस्कृति से रूबरू होते हैं। ज्यादातर पर्यटक यहां बसों और निजी वाहनों से ही आते रहे हैं। ऐसे में यह मांग की जा रही थी कि अगर लद्दाख में भी रेल पटरियों का विस्तृत जाल हो तो यहां पर्यटन को काफी फायदा हो सकता है।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दौर में यह मुमकिन होने वाला है। भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों में से एक इस क्षेत्र में पटरियां बिछाएगा। यह रेलवे लाइन लद्दाख से दिल्ली को जोड़ेगी। जानकारी के अनुसार, रेलवे लोकेशन सर्वे का पहला चरण पूरा कर चुका है। पर्यटन के अलावा सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण लद्दाख को इस रेलवे लाइन से कई फायदे मिलेंगे।
बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन रेलवे का एक बेहद मुश्किल प्रोजेक्ट माना जा रहा है, जिसके निर्माण में उसे कई भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस पर खर्च भी भारीभरकम है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस पर देश के करीब 83,360 करोड़ रुपए व्यय होंगे। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रेलवे के कर्मचारियों को समुद्र तल से करीब 5,360 मीटर की ऊंचाई पर अपना हुनर दिखाना होगा।
चीन की रही है नजर
लद्दाख सिर्फ पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है। यह देश की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पर नजर की गहरी नजर रही है। लद्दाख एक शांत इलाका है। तिब्बत और लद्दाख की संस्कृति में कई समानताएं हैं। तिब्बत को हड़प चुका चीन अब लद्दाख पर नजर जमाए है, लेकिन भारतीय सुरक्षाबल इसकी कड़ी चौकसी करते हैं।
सरहद के उस पार चीन तिब्बत में रेलवे लाइन बिछा चुका है। करीब 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर रेलवे लाइन बिछा चुका चीन अपनी सैन्य शक्ति में लगातार इजाफा कर रहा है। इसलिए सुरक्षा के लिए भारत के पास एक सुदृढ़ रेलवे लाइन होना जरूरी है, ताकि आवश्यकता होने पर भारतीय सुरक्षाबल भी इसका उपयोग कर सकें।
तेज रफ्तार से दिल्ली-लेह का सफर
इस रेलवे लाइन के निर्माण के बाद लेह और दिल्ली के सफर में लगने वाला समय करीब आधा हो जाएगा। यह ट्रैक ब्रॉडगेज होगा और इससे सामान की ढुलाई में भी वृद्धि होगी। इसके संचालन के बाद दिल्ली से सिर्फ 20 घंटे में ही लेह पहुंचा जा सकेगा। इससे पर्यटकों की तादाद बढ़ेगी। इस पर करीब 75 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से रेल दौड़ेगी। सर्दियों के दिनों में यह लाइन स्थानीय लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी। लोगों को दुर्गम इलाकों का सफर करने में आसानी होगी। इसके अलावा हिमाचल के पर्यटन में भी चार चांद लग जाएंगे।