नई दिल्ली। ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के साथ उनकी भी जयंती आती है। लोग शास्त्रीजी की सादगी, ईमानदारी, सच्चाई और स्वाभिमान की मिसाल देते हैं। उनके जीवन से जुड़ी कई प्रेरक घटनाएं हैं। उनमें से तीन घटनाएं यहां प्रस्तुत की जा रही हैं।
1. शास्त्रीजी का विवाह ललिता देवी से हुआ था। उस समय भी भारत में दहेज प्रथा प्रबल थी। लोग अपने बेटों की शादियों में कन्या पक्ष से हजारों-लाखों रुपए वसूल किया करते थे, लेकिन शास्त्रीजी दहेज प्रथा के विरोधी थे। उन पर महात्मा गांधी की शिक्षाओं का बहुत प्रभाव था। ललिता देवी के साथ विवाह में उन्होंने दहेज में चरखा और हाथ से बुना कपड़ा लिया। चरखा देश की आज़ादी, स्वदेशी और महात्मा गांधी की शिक्षाओं का प्रतीक है।
2. वर्ष 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध का नतीजा हमारे पक्ष में नहीं रहा, लेकिन शास्त्रीजी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद उन खामियों को दूर करना शुरू किया जिनकी वजह से हम यह लड़ाई नहीं जीत पाए थे। नेहरूजी के देहांत के बाद पाकिस्तानी फौजी तानाशाहों को लगने लगा था कि अब वे कश्मीर फतह कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने तैयारियां शुरू कर दीं।
उससे पहले पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने एक बार शास्त्रीजी से मुलाकात की थी। शास्त्रीजी का कद और बोली में विनम्रता देख अयूब को लगने लगा कि वे एक शक्तिशाली राजनेता नहीं हो सकते। बाद में उन्होंने भारत पर हमला किया तो शास्त्रीजी के आह्वान पर भारतीय फौज लाहौर तक जा पहुंची। पाकिस्तान की करारी शिकस्त हुई। उस घटना के बाद एक पत्रकार के सामने अयूब खान ने स्वीकार किया कि शास्त्रीजी का आकलन करने में उसने भारी भूल की।
3. पाकिस्तान से उस युद्ध के दौरान अमेरिका उसके पक्ष में था। एक दिन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्रीजी को फोन कर धमकी के अंदाज में कहा कि आप पाकिस्तान से युद्ध बंद करें, अन्यथा हम आपको पीएल 480 का गेहूं नहीं देंगे। चूंकि उस समय देश में खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति ठीक नहीं थी। शास्त्रीजी ने जॉनसन की बात को चुनौती के तौर पर लिया।
उन्होंने अपनी पत्नी ललिता देवी से कहा कि क्या आप ऐसा कर सकती हैं कि आज शाम खाना न बने। उन्होंने बताया कि कल मैं देशवासियों से अपील करूंगा कि सप्ताह में एक दिन उपवास करें। मैं देखना चाहता हूं कि मेरे बच्चे भूखे रह सकते हैं अथवा नहीं।
ललिता देवी ने ऐसा ही किया। उस रोज शास्त्रीजी और उनका परिवार उपवास पर रहा। दूसरे दिन उन्होंने देशवासियों से अपील की। उनकी अपील का बड़ा असर हुआ। लोग उपवास करने लगे और उससे काफी अनाज बचा। बाद में देश में हरित क्रांति आई और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध भी हमने जीता। शास्त्रीजी ज्यादा समय तक शासन नहीं कर पाए, क्योंकि उनका देहांत हो गया था, परंतु कम समय में ही उन्होंने वह कर दिखाया जिसकी बदौलत हमारे ‘जननायक’ बन गए।
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